महाकुंभ भगदड़ (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: जिसकी आशंका थी, अंततः वही हुआ। पहले से अंदाजा था कि इस बार मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को अमृत स्नान के तहत महाकुंभ में ऐसा जन सैलाब उमड़ने वाला है, अब के पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। इस बार तो भीड़ के सारे रिकॉर्ड टूटने ही थे। क्योंकि इस साल 144 वर्षों के बाद ‘त्रिवेणी योग’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा था।
अनुमान था कि मौनी अमावस्या के दिन 24 से 48 घंटे के भीतर 8 से 10 करोड़ लोग इस बार स्नान करेंगे। देश-विदेश में इस साल के कुंभ की चाक चौबंद व्यवस्था की तारीफ हो रही थी। लेकिन भीड़ को नियंत्रित करने के मामले में मौनी अमावस्या सबसे बड़ी परीक्षा थी। एक दिन पहले वीआईपी लोगों को लेकर बरती गई ढील के कारण इस बेजोड़ कुंभ पर कालिख पुत गई।
मौनी अमावस्या को तड़के उस समय भगदड़ मच गयी जब श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आगे बढ़ रहे थे। मौजूद सुरक्षाकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ रहे और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक अलग अलग स्रोतों के मुताबिक 15 से 38 लोगों की मृत्यु हो गई थी। जबकि 150 से 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है।
करीब 15 श्रद्धालुओं की लाशें देखी गईं। द गार्जियन डॉट कॉम के मुताबिक मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम से कम 38 थी। कुंभ में मौजूद श्रद्धालुओं की मानें तो दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह एक दिन पहले का वीआईपी मूवमेंट रहा। कई किलोमीटर का चक्कर लगाकर संगम नोज तक रात में 1 से 2 बजे तक इतने लोग पहुंच गए जिनको संभाल पाना संभव ही नहीं था। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए था ; लेकिन वह तो पिछले 24 घंटों से वीआईपी लोगों के प्रबंध में जुटा था।
महाकुंभ मेले की विशेष कार्य अधिकारी आकांक्षा राणा के मुताबिक जहां संगम में बैरियर्स टूटने के बाद यह हादसा हुआ तो प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह भगदड़ एक खंभा टूटने के बाद मची। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना था कि वीआईपी लोगों की सुविधा के लिए अलग-अलग जगहों से डायवर्ट किये गए लोगों के कारण संगम नोज में 28 जनवरी की देर रात और 29 जनवरी के तड़के बहुत ज्यादा भीड़ बढ़ गई थी इसकी वजह से एक खंभा टूटकर गिर गया, जिसमें कुछ लोग जख्मी हुए और इसी के साथ भगदड़ मच गई।
हादसे के तुरंत बाद प्रशासन ने स्थिति को मुस्तैदी से संभाला और एंबुलेंस भी मौके पर पहुंचीं, जिन्होंने घायलों को महाकुंभ में मौजूद केंद्रीय अस्पताल ले जाना शुरू कर दिया ताकि उनका समय रहते इलाज हो सके। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हादसे के बाद हताहतों तक 70 से ज्यादा एंबुलेंस पहुंचाने के लिए पुलिस को बहुत मशक्कत करनी पड़ी तब कहीं जाकर उन्हें लेकर अस्पताल जाया जा सका।
हादसे के बाद संगम तट पर एनएसजी कमांडो ने भी मोर्चा संभाल लिया। संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई। भीड़ और न बढ़े, इसलिए प्रयागराज शहर में भी श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन को पता था कि मौनी अमावस्या में स्नान के लिए करीब 5 करोड़ श्रद्धालु शहर में मौजूद हैं जबकि करोड़ों और आने वाले थे। जाहिर है प्रशासन को यह भी समझना चाहिए था कि संगम समेत कुंभ क्षेत्र में मौजूद 44 घाटों पर ही इन सबको डुबकी लगानी थी। इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को भी तीन से साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम क्षेत्र में डुबकी लगाई थी। पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात थे। फिर भी व्यवस्था संभल नहीं रही थी।
बाद में सीएम योगी ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे लोग मां गंगा में वहीं स्नान करें, जिस घाट के वो नजदीक हों, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें। यह दिशा-निर्देश भीड़ को देखते हुए पहले से होना चाहिए था। यह जरूरी था; क्योंकि मौनी अमावस्या का स्नान हमेशा से बहुत भीड़ वाला होता है।
हमें यह भी समझना चाहिए कि समूचे संगम में इस पुण्यतिथि को ‘अमृत’ बहता है। अगर आप कहीं भी गंगा या यमुना में स्नान करेंगे तो ‘अमृत’ आपको प्राप्त होगा। ये आवश्यक नहीं है कि संगम में ही डुबकी लगायी जाय। यह घटना इसलिए हुई क्योंकि सभी श्रद्धालु संगम घाट पर ही पहुंचना चाहते थे, जबकि उन्हें जहां भी पवित्र गंगा दिखे, वहीं डुबकी लगानी थी।
सुबह यही नहीं पता चल रहा था कि दुर्घटना हुई कब? कोई 2 बजे रात बता रहा था, कोई 2।30 कह रहा था, जबकि एक महिला के मुताबिक घटना रात करीब 1 बजे ही घट गई थी। इसका मतलब हुआ कि घंटों भगदड़ वाली स्थिति रही। पता चला है कई लोग जान बचाने के लिए बिजली के खंभे तक पर चढ़ गए। पूरे संगम क्षेत्र में ही अफरातफरी का माहौल बन गया।
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घायलों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे आदि सभी थे। भगदड़ के बाद जब एनएसजी कमांडो ने मोर्चा संभाला तो उन्होंने जेटी के आस-पास को अपने कब्जे में ले लिया। साथ ही शहर की सड़कों पर जिन सुरक्षा जवानों की ड्यूटी लगाई गई थी, उन्हें तुरंत संगम की ओर रवाना किया गया।
संगम पर भीड़ को देखते हुए सुरक्षा जवानों को भी बढाया गया। अब प्रशासन अतिरिक्त रूप से सतर्क होकर श्रद्धालुओं से अपील की कि लोग जल्दी से जल्दी स्नान करें और दूसरों के लिए घाट खाली कर दें, जिससे भीड़ इकट्ठा न होने पाए और दूसरे श्रद्धालुओं को स्नान का मौका मिले। यह मुस्तैदी पहले ही दिखाई गयी होती तो दुर्घटना न घटती।
लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा