गाना गाने पर सस्पेंड तहसीलदार (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के लातूर में तालुका मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) प्रशांत थोरात का तबादला होने पर विदाई समारोह आयोजित किया गया।उस समय सरकारी नियमों का बंधन और अनुशासन भूलकर प्रशांत सरकारी कुर्सी पर बैठकर जिंदादिली के साथ अमिताभ बच्चन की पुरानी फिल्म ‘याराना’ का गाना ‘यारा तेरी यारी को’ गाने लगे।वहां मौजूद लोग तालियां भी बजाने लगे।इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।इसका पता चलने पर नांदेड के कलेक्टर ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जिसमें कहा गया कि थोरात के आचरण से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।थोरात को इसी बात पर सस्पेंड कर दिया गया.’
हमने कहा, ‘इस मामले से सबक मिलता है कि गला सुरीला होने के बावजूद सरकारी अधिकारियों को ऑफिस की सरकारी कुर्सी पर बैठकर गाना नहीं चाहिए।वह बाथरूम में गाएं या घर में परिवारजनों के सामने गाएं लेकिन ऑफिशियल कैपेसिटी में गंभीर बने रहना चाहिए।प्रशासन में कितने ही कलेक्टर, कमिश्नर, सेक्रेटरी होंगे जो मुकेश, रफी, किशोर कुमार, हेमंत कुमार, मन्ना डे की आवाज में गाते होंगे।उन्हें अपनी उमंग या शौक को मारकर गाने या गुनगुनाने से परहेज रखना पड़ता होगा।किसी प्राइवेट फंक्शन या क्लब में आग्रह करने पर वह गाएं तो चलेगा लेकिन सरकारी कुर्सी इसकी इजाजत नहीं देती।यह नहीं चलेगा कि मन में आया तो कहीं भी गाने लगे! जजों और न्यायिक अधिकारियों को तो पथरीला चेहरा या स्टोन फेस बनाए रखना पड़ता है ताकि ‘कड़क’ दिखें.’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, तहसीलदार ने अपने मित्रों व हितैषियों से अपनापन जताते हुए ‘यारा तेरी यारी को’ गाया।वो चाहते तो यारी-दोस्ती निभाते हुए और भी कितने ही गीत गा सकते थे जैसे कि यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी! खुश रहना मेरे यार! यार दिलदार तुझे कैसा चाहिए, प्यार चाहिए कि पैसा चाहिए।जहां चार यार मिल जाएं वहीं रात को गुलजार! यारा ओ यारा, इश्क का मारा, मैं बेनाम हो गया।चल यार धक्का मार, बंद है मोटर कार! जिंदगी में संगीत को निकाल दो क्या बचेगा? जिस देश में नारद और सरस्वती की वीणा, शंकरजी का डमरू और कृष्ण कन्हैया की बांसुरी बजी वहां एक तहसीलदार को सहजता से गाना महंगा पड़ गया क्योंकि सरकारी कुर्सी इसकी अनुमति नहीं देती।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा