(डिजाइन फोटो)
यह अत्यंत असहनीय है और महाराष्ट्र व राष्ट्र की जनभावना से खिलवाड़ है। सिंधुदुर्ग जिले का 400 वर्ष पुराना किला बरकरार है लेकिन सिर्फ 8 माह पहले मालवण राजकोट में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा अचानक ढह गई। दावा है कि नौसेना ने इसे बनवाया था क्योंकि हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को नौसेना के जनक के रूप में माना जाता है।
अंग्रेजों और पुर्तगालियों जैसे विदेशियों से लड़ने के लिए उन्होंने नौसेना बनाई थी। इसी वजह से भारतीय नौसेना के ध्वज पर शिवराय की शाही मुहर अंकित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2023 को छत्रपति की इस प्रतिमा का अनावरण किया था तब किसी को अनुमान नहीं था कि कुछ ही महीनों में यह ध्वस्त हो जाएगी। छत्रपति शिवाजी महाराज की तेजस्वी छवि महाराष्ट्र के बच्चे-बच्चे के मानस पटल पर अमिट रूप से अंकित है।
बताया जाता है कि इस प्रतिमा का निर्माण कार्य व स्थापना करते समय काफी हड़बड़ी थी। रिकार्ड टाइम में इसे पूरा करना था क्योंकि लोकसभा चुनाव सामने था जिसे लेकर राजनीतिक व प्रशासनिक व्यस्तता चल रही थी। यदि आपाधापी में काम किया जाए तो कोई न कोई न्यूनता रह जाना स्वाभाविक है। राज्य सरकार और पीडब्ल्यूडी को सोचना चाहिए था कि सड़क और पुल का निर्माण अपनी जगह है जबकि छत्रपति की प्रतिमा का विशिष्ट और असाधारण महत्व है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा राष्ट्र के शौर्य, वीरता और उत्कट राष्ट्राभिमान की ज्वलंत अभिव्यक्ति है। मुगल साम्राज्य की प्रबल शक्ति को अत्यंत साहस पूर्वक और रणनीतिक कुशलता से देश में सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही कड़ी चुनौती दी थी। यदि महाराज न होते तो दक्षिण भारत का इस्लामीकरण हो जाता। आदिलशाही सल्तनत और औरंगजेब का प्रतिरोध करना सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज के बलबूते की ही बात थी।
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इस 35 फुट ऊंची पूर्णाकृति प्रतिमा के साथ चबूतरे का काम नौसेना द्वारा किया गया था तथा किले के दरवाजे और तटबंदी का काम पीडब्ल्यूडी ने किया था। शिव प्रतिमा परिसर के सुशोभीकरण तथा अन्य व्यवस्था के लिए कार्यकारी अभियंता पीडब्ल्यूडी कणकवली के कार्यालय से 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि 45 किलोमीटर वेग से आई आंधी की वजह से यह हादसा हुआ। इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने जांच की मांग की।
मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने प्रश्न किया कि 8 महीने में ही प्रतिमा कैसे गिर गई? सांसद सुप्रिया सुले ने मालवण निवासी मूर्तिकार जयदीप आपटे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और कहा कि जब प्रधानमंत्री किसी स्मारक का उद्घाटन करते हैं तो लोगों को विश्वास होता है कि उसका काम ऊंचे दर्जे का व मजबूत होगा। उद्धव गुट ने भी निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
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महाराष्ट्र ही नहीं, देश के अनेक स्थानों पर कुछ वर्ष या माह पहले बने पुल ढह जाते हैं। बिहार में यह आंकड़ा 10 पुलों को पार कर चुका है। गर्मी के मौसम में बनी सड़कें बारिश में बह जाती हैं। कंक्रीट की सड़कों पर बड़े गड्ढे पड़ जाते हैं। न जाने क्यों ब्रिटिश काल में बने पुल 100 वर्ष बाद भी मजबूती से कायम हैं। लगता है निर्माण कार्य में कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार और घटिया सामग्री का इस्तेमाल आम बात हो गई है।
जब अयोध्या के राम मंदिर और नए संसद भवन में पानी लीक होने लगा तो समझा जा सकता है कि निर्माण में कितनी धांधली की जाती है। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना महाराष्ट्र की पावन मिट्टी से बेईमानी को दर्शाती है। लीपापोती से काम नहीं चलेगा। किसने बनाया, किसके मार्गदर्शन में काम पूरा हुआ, किसने फिटनेस प्रमाणपत्र दिया, उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा