आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हमें बताइए मौसम का हाल क्या है? कहते हैं इस बार जनवरी-फरवरी में भी कड़ाके की ठंड जारी रहेगी। गांव हो या शहर, हर तरफ शीतलहर! रामायण में खर-दूषण तो दिल्ली की हवा में प्रदूषण! छाया इतना कोहरा, नहीं दिखता किसी का चेहरा!’ हमने कहा, ‘धर्मेंद्र ने बहुत पहले गाते हुए देशवासियों को मौसम का हाल बता दिया था- आज मौसम बड़ा बेइमान है आज मौसम, आनेवाला है कोई तूफान आज मौसम! एक फिल्म में शशिकपूर ने भी गाया था- एक बरस में मौसम चार, पांचवां मौसम प्यार का इकरार का। इसके अलावा उन्होंने गाया था- नी सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया, हाय-हाय हरी-हरी छाया।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, छाया हरी नहीं, बल्कि काली होती है। मौसम भी सिर्फ 3 होते हैं- जाड़ा, गर्मी और बरसात। यूरोप-अमेरिका में फाल, विंटर और आटुम नामक 3 मौसत होते हैं। राजकपूर को बारिश अच्छी लगती थी इसलिए उन्होंने बरसात नामक फिल्म बनाई थी।’ हमने कहा, ‘इस समय महाराष्ट्र के नगर परिषद व नगर पंचायत चुनावों के नतीजों ने बता दिया कि महायुति के आंगन में गरज के साथ वोटों की झमाझम बारिश हुई है। यदि आप अर्थशास्त्रीय मौसम पर नजर डालें तो मालूम पड़ेगा कि डॉलर की बाढ़ में रुपया डूबता जा रहा है। कड़कड़ाती आसमानी बिजली के समान सोने-चांदी की चमक आंखों को चौंधिया रही है।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, इस समय गजक खाकर अजब-गजब मौसम का आनंद लीजिए। लोग स्वेटर और जर्सी पहनकर फैशन का नजारा या स्टाइल स्टेटमेंट पेश कर रहे हैं। कुछ ने अपना शादी का पुराना कोट निकाल कर पहनना शुरू कर दिया है। ऐसे भी लोग हैं जो पुराने अभिनेता राजकुमार या आप नेता केजरीवाल के समान मफलर का इस्तेमाल कर रहे हैं। पार्टियों में अलगाव है तो गरीब के सामने हाथ सेंकने के लिए सुलगता अलाव है। सर्दी-जुकाम के मरीजों की फौज आई है जिससे डाक्टरों की कमाई है। बाजार में रेलमपेल है क्योंकि विंटरवेयर का सेल है।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा