(डिजाइन फोटो)
अब तक फिलिस्तीन के 11,600, यूक्रेन के 2105, इजराइल के 282 और लेबनान के करीब 53 मासूमों को दो शैतानों, दो भेड़ियों और एक सिरफिरे की हवस हमेशा के लिए निगल गई है। रूस-यूक्रेन, गाजा और इजरायल से लेकर लेबनान तक में मारे गये सभी बेगुनाह लोगों का जोड़ें तो करीब 2 लाख लोगों ने इन दो वर्षों में 5 हत्यारों की सनक के चलते अपनी जान गंवाई है।
इन युद्धों के कारण अफ्रीका से लेकर एशिया और लैटिन अमरीका तक में करोड़ों लोगों के मुंह का निवाला या तो छिन गया है या मुश्किलभरा हो गया है। रूसी थिंक टैंक सोचता था कि अकूत ताकत का मालिक व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर झपट्टा मारेगा और दस दिनों के भीतर यूक्रेन के पंख नोच डालेगा।
लेकिन न तो दस दिनों के भीतर तानाशाह पुतिन यूक्रेन को डकार पाया और न ही 72 घंटों में बेगुनाहों का हत्यारा इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमास को नेस्तनाबूद कर पाया। पुतिन ढाई साल बाद भी नहीं समझ पा रहे कि यूक्रेन, पैरों की तरफ से अपाहिज हुआ है या उसके कंधे घायल हुए हैं। अनधिकृत आंकड़ों के मुताबिक करीब 50 हजार यूक्रेनी नागरिक और करीब 23 हजार यूक्रेनी सैनिक हमेशा-हमेशा के लिए इस जंग द्वारा मिट्टी कर दिए गए हों, लेकिन अभी भी जंग किसी किनारे लगती नहीं दिख रही।
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यूक्रेन ने भी रूस की हालत खराब कर दी है, अब तक करीब 15 से 18 हजार रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। यूरोपीय संघ का आंकलन तो यह है कि इस युद्ध में रूस के अब तक 50 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गये हैं। इसके अलावा रूस रणनीतिक कुशलता के चलते यह दिखाने की कोशिश कर रहा हो कि वह आर्थिक रूप से ध्वस्त नहीं हुआ, लेकिन हकीकत यह है कि युद्ध के पहले के मुकाबले दो से तीन गुना तेल बेचने, फैक्टरियों में दिन रात काम करवाने का आदेश देने के बावजूद रूसी अर्थव्यवस्था के एक-एक कदम चलने पर पांव फूल रहे हैं।
यह सच्चाई उजागर हो गई है कि रूसी फैक्टरियों में काम करने के लिए 35 फीसदी से ज्यादा मजदूरों की कमी है। 20 फीसदी से ज्यादा रूसी नियमित सेना में और करीब 16 फीसदी रिजर्व फोर्स में सैनिकों की कमी है, रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब से अब तक करीब 42 हजार रूसी युवक रूस छोड़कर दुनिया के दूसरे देशों में रहने के लिए चले गये हैं।
इस जंग के चलते इजरायल की अर्थव्यवस्था 40 फीसदी से ज्यादा तहस-नहस हो चुकी है। जबकि फिलिस्तीन की अर्थव्यस्था 85 से 90 फीसदी तक ध्वस्त हो चुकी है। इजरायल ने अपने हवाई हमलों से गाजापट्टी में जितनी इमारतें नेस्तनाबूद की हैं, अगर उन सबको फिर से बनवाया जाए तो करीब 1200 बिलियन डॉलर का खर्च आयेगा और 4 साल से ज्यादा का समय लगेगा।
इजरायल ने अपने हमलों से न सिर्फ नृशंसता के साथ फिलिस्तनियों को मौत के घाट उतारा है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा बेरहमी से फिलिस्तीन के हिस्से वाली समूची गाजापट्टी को मिट्टी में मिला दिया है। पिछले दो वर्षों से रूस-यूक्रेन तथा गाजापट्टी और लेबनान तक में लोगों का जीना मुहाल दो शैतानों पुतिन और नेतन्याहू, एक सिरफिरे ब्लोदीमीर जेलेंस्की और दो भेड़िये जो कि हमास और हिजबुल्लाह नाम के नॉन स्टेट एक्टर ने कर रखा है।
करीब 42 से 45 करोड़ लोगों की जिंदगियों को सीधे मानवता के इन पांच हत्यारों ने बंधक बना रखा है, तो इनके इन कुकृत्यों से शेष दुनिया की करीब 7.5 अरब से ज्यादा आबादी त्रस्त है। पुतिन अपने किए गए पर शर्मिंदा होने की बजाय यूक्रेन पर हमला करने, उसके कुछ हिस्सों को अपने में मिला लेने को अपना हक समझता है, तो वैसा ही यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पश्चिमी देशों के समर्थन, दान व उधार में मिले हथियारों से रूस को पटखनी देने का सिरफिरा ख्वाब देख रहा है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और हमास तथा हिजबुल्लाह जैसे पांचों हत्यारों ने दुनिया का सुख चैन छीन लिया है।
लेख- लोकमित्र गौतम द्वारा