किसी नेता की किस्मत हमेशा एक सी नहीं रहती। उत्थान और पतन जीवन के अंग हैं। ऐसा अनुमान है कि इस वर्ष की दूसरी छमाही अर्थात जुलाई से दिसंबर तक ब्रिटेन में कभी भी होनेवाले हाउस ऑफ कामन्स के चुनाव में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की गद्दी खतरे में पड़ सकती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार सुनक की कंजरवेटिव पार्टी (अनुदार दल) को करारी हार का सामना करना पड़ सकता है और मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी की जबरदस्त जीत हो सकती है। जब ऋषि सुनक ब्रिटेन के पीएम बने थे तो भारतीयों में खुशी की लहर दौड़ गई थी कि 2 सदी से ज्यादा समय तक भारत पर हूकूमत करनेवाले अंग्रेजों के देश का शासन भारतीय मूल के व्यक्ति के हाथों में आ गया।
ऋषि सुनक इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति व राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति के दामाद होने से उनका भारत से नाता और गहरा है। ब्रिटेन में 18,000 से अधिक लोगों पर सर्वे कराया गया जिसमें यह बात सामने आई कि विपक्षी नेता कीर स्टार्मर के नेतृत्ववाली लेबर पार्टी हाउस ऑफ कामन्स की कुल 403 में से 326 सीटें जीतते नजर आ रही है अर्थात उसे तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत मिल सकता है। इसके विपरीत ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी के केवल 155 सीटें जीतने का अनुमान है। इसके पूर्व 1997 में भी लेबर पार्टी जीती थी।
उस समय टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने प्रधानमंत्री जॉन मेजर की अगुवाई वाली कंजरवेटिव पार्टी को बुरी तरह हराया था। ऐसा लग रहा है कि इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है। इसमें सुनक की पार्टी के अन्य नेता जेरेमी हंट, मिशेल डोनलान, पेनी मार्डेन्ट, जैकब रीस मॉग भी चुनाव हार सकते हैं। ब्रिटेन के इस सबसे बड़े सर्वे के अनुसार लेबर पार्टी को 41 प्रतिशत, कंजरवेटिव पार्टी को 24 प्रतिशत, लिबरल डेमोक्रेटस को 12 प्रतिशत, ग्रीन पार्टी को 7 प्रतिशत, रिफार्म यूके को 12 प्रतिशत तथा अन्य को 1 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं।
ब्रिटेन में आम तौर पर लेबर पार्टी बहुत कम अवसरों पर चुनाव जीतती है लेकिन इस समय ब्रिटिश राजनीति में उसका प्रभाव बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। सुनक के पहले कंजरवेटिव पार्टी के संसदीय दल ने लिज हंट को पीएम बनाया था लेकिन शीघ्र ही पता चल गया कि सुनक की संपूर्ण पार्टी स्तर पर अधिक लोकप्रियता है। इसलिए लिज ने इस्तीफा दिया और सुनक पीएम बने। अब यदि वह अपनी पार्टी को कुछ महीनों के भीतर मजबूत नहीं बना पाए तो उनका पीएम पद खतरे में आ जाएगा।