सिर्फ ‘चंदामामा’ में पढ़ो कहानी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, बच्चों को सुनाई जानेवाली नानी की कहानी हमेशा ‘एक था राजा’ शब्दों के साथ शुरू होती है।बच्चे राजा की शाही पोशाक, उसके सिंहासन और राज दरबार की कल्पना करते हैं।राजा के साथ उसकी एक या अनेक रानियों तथा राजकुमारों का किस्सा भी जुड़ता है।हमने बचपन में चंदामामा व अमर चित्र कथा में ऐसी कहानियां पढ़ी थीं.’ हमने कहा, ‘लोकतंत्र में राजा-रानी की कहानी भूल जाइए।राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर राजघराने या रायल फैमिली को आदेश दिया है कि उसका कोई भी सदस्य अपने नाम के पहले राजा, महाराजा, रानी, महारानी, प्रिंस, प्रिंसेज, राजकुमार या राजकुमारी बिल्कुल भी न लगाए.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यह आदेश सुनकर हमें फिल्म ‘नमकहलाल’ का गीत याद आ गया- ये क्या जुलुम हुआ, ये क्या गजब हुआ, ना जाने तू, न जानूं मैं! राजा को राजा नहीं कहेंगे तो क्या रंक कहेंगे? राजस्थान का मतलब ही राजाओं का स्थान होता है।अब क्या राज शब्द हटाकर उसे सिर्फ ‘स्थान’ कहेंगे?’ हमने कहा, ‘आप व्यर्थ की हुज्जत कर रहे हैं।अदालत का आदेश संबंधित पक्षों को आंख मूंद कर मानना पड़ता है।आजादी के बाद जब प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश के सारे राजे-रजवाड़ों को स्वतंत्र भारत में विलीन करवा लिया तो ये सिर्फ नाम के राजघराने रह गए।उनकी प्रजा भारत की प्रजा बन गई।केवल जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह विलय के लिए तैयार नहीं थे लेकिन जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया तो उन्हें भारत में विलय के लिए मजबूर होना पड़ा।जूनागढ़ का नवाब जन रोष को देखते हुए गद्दी छोड़कर पाकिस्तान भाग निकला।
ये भी पढ़ें– नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
हैदराबाद के निजाम ने अकड़ दिखाई और कासिम रिजवी के नेतृत्व में रजाकारों से खूनखराब करवाया तो सरदार पटेल ने ब्रिगेडियर जेएन चौधरी के नेतृत्व में भारतीय सेना को 3 दिशाओं से भेजकर निजाम के होश ठिाकाने ला दिया।वह सरेंडर करने को विवश हुआ।सेना का ‘ऑपरेशन पोलो’ अभियान 13 सितंबर 1948 को शुरू हुआ और 4 दिन में पूरा हो गया।आगे चलकर हैदराबाद स्टेट आंध्रप्रदेश बन गया.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आज भी इंदौर के होल्कर, ग्वालियर के सिंधिया और जयपुर के राजघराने को लोग याद करते हैं।एक समय वह भी था जब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ व उनके पति ड्यूक आफ एडिनबरा जयपुर राजघराने के मेहमान बनकर आते थे और पोलो खेला करते थे।महारानी गायत्रीदेवी की अलग ही शान थी.’ हमने कहा, ‘इंदिरा गांधी ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भूतपूर्व राजाओं को दिया जानेवाला प्रिवीपर्स बंद करवा दिया था।अब हाईकोर्ट ने राजा-रानी कहने पर भी रोक लगा कर सबको सामान्यजन बना दिया.’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा