(डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार हों या उनका समूचा परिवार, उन सभी की प्राथमिकता सिर्फ बारामती ही है और आगे भी रहेगी। वही उनका गढ़ है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा को हराकर बारामती की सीट जीत ली। इस चुनाव में अजीत पवार के बड़े भाई श्रीनिवास पवार ने अपने चाचा शरद पवार का साथ दिया था और सुप्रिया के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारने के लिए अजीत की कड़ी आलोचना की थी।
बारामती लोकसभा चुनाव में पटकनी देने के बाद अब शरद पवार अक्टूबर में होनेवाले विधानसभा चुनाव में भी अजीत पवार को सबक सिखाना चाहते हैं। इस उद्देश्य से शरद पवार बारामती की जिम्मेदारी अब युगेंद्र पवार को सौंपने जा रहे हैं। उन्होंने जनता दरबार के कार्यक्रम में युगेंद्र को लांच किया। युगेंद्र अजीत पवार के बड़े भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। इस तरह वे शरद पवार के पोते हुए। वर्तमान में बारामती सीट से उपमुख्यमंत्री अजीत पवार विधायक हैं। अजीत को उनके भतीजे युगेंद्र पवार विधानसभा चुनाव में टक्कर देंगे। अजीत ने अपने चाचा शरद पवार की खिलाफत की तो अब युगेंद्र अपने चाचा अजीत पवार से चुनावी मैदान में भिड़ेंगे।
दूसरा मुद्दा यह है कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होते। यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी ने शरद पवार को ‘भटकती आत्मा’ कहा था लेकिन इतने पर भी शरद पवार बारामती, दौंड और पुरंदर तहसील के औद्योगिक विकास के लिए और वहां बड़े उद्योग लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उनकी मदद लेंगे। मोदी भी जान गए हैं कि शरद पवार की मदद कर वह उन्हें एनडीए में आने के लिए राजी कर सकते हैं क्योंकि अजीत पवार को युति में साथ रखने से बीजेपी को कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि सीटों का नुकसान हुआ।
खुद शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी ने मुझ पर व्यक्तिगत टिप्पणी की लेकिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। हमें बारामती परिसर की औद्योगिक स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मदद की जरूरत है। पवार ने याद दिलाया कि जब यशवंतराव चव्हाण मुख्यमंत्री थे तब पुणे में एमआईडीसी के बाद बारामती, जेजुरी, भिगवण, चाकण और शिरवल में एमआईडीसी नेटवर्क फैलता गया जिससे समूचे क्षेत्र की तस्वीर बदल गई और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला। सभी जानते हैं कि पवार परिवार का एक मात्र उद्देश्य बारामती का अधिकतम विकास करना है। उन्हें मराठवाडा और विदर्भ के विकास से कभी कोई सरोकार नहीं रहा। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा