अब बिहार में तेजी से बढ़ेगी चुनावी हलचल (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: बिहार में 22 नवंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने की केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त की घोषणा के साथ ही विभिन्न पार्टियां व उनके नेता जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में लग जाएंगे।बिहार हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति की प्रयोगशाला रहा है।इस चुनाव में भी बीजेपी-जदयू के एनडीए का मुकाबला कांग्रेस-राजद के गठबंधन से होगा।इसके साथ ही प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी मैदान में होगी।चुनाव रणनीतिकार होने की वजह से वह अपनी गोटियां अच्छे से बिछा सकेंगे।पीके ने रणनीतिकार के रूप में मोदी, ममता बनर्जी, केजरीवाल जैसे नेताओं के लिए काम किया था।
पिछले 3 वर्षों में उन्होंने समूचे बिहार में घूमकर मतदाताओं से सीधा संपर्क किया और शिक्षा, स्वास्थ्य व बेरोजगारी के मुद्दों पर चर्चा की।युवाओं का प्रशांत किशोर की पार्टी की ओर आकर्षण है।यदि उनकी जनसुराज पार्टी ने 5 से 7 प्रतिशत वोट ले लिए तो दोनों प्रमुख गठबंधनों का चुनावी गणित बिगड़ सकता है।खासतौर पर राजद-कांग्रेस गठजोड़ के परंपरागत वोट इससे प्रभावित हो सकते हैं।प्रत्येक महिला मतदाता को स्वरोजगार शुरू करने के नाम पर 10,000 रुपए देने का केंद्र सरकार का निर्णय भी चुनाव पर असर डाल सकता है।महिलाओं का स्वावलंबन और आत्मविश्वास बढ़ाना इसका उद्देश्य बताया गया है।बिहार में महिला वोटर की तादाद 49 प्रतिशत है।यद्यपि मुख्यमंत्री नीतीशकुमार की जदयू का बीजेपी से गठबंधन है लेकिन नीतीश को संदेह है कि चुनाव के बाद बीजेपी रंग बदल सकती है।
नीतीश की ‘सुशासन बाबू’ वाली छबि भी अब कमजोर हो चली है।उन्हें लोग शारीरिक व मानसिक रूप से थका हुआ मानने लगे हैं।बीजेपी सभी चुनावों को प्रधानमंत्री मोदी विरुद्ध ‘अन्य सब’ की शक्ल देती है।दूसरी ओर राजद-कांग्रेस गठबंधन में तेजस्वी यादव का युवा नेतृत्व है।राहुल गांधी की मताधिकार यात्रा ने भी कुछ न कुछ प्रभाव डाला है।इस गठबंधन को मुस्लिम-यादव वोट मिलने की संभावना है।यूपी में सांप्रदायिकता का मुद्दा असर डालता है लेकिन बिहार की राजनीति जातिवाद पर चलती आई है।इसके बावजूद अब युवकों को शिक्षा, रोजगार व औद्योगिक विकास के मुद्दे महत्वपूर्ण लगने लगे हैं।
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इतने पर भी बिहार में पिछड़ी व अतिपिछड़ी जातियां अपनी गोलबंदी करने में लगी हैं।पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने जदयू के वोट काटने का काम किया था।नीतीश की अप्रसन्नता के बाद भी चिराग को केंद्र में मंत्री बनाया गया था।चुनाव आयोग ने इस बार 17 बड़े बदलाव किए हैं जो मतदान को सुगम बनाएंगे और देश में होनेवाले आगामी चुनावों के लिए भी मार्गदर्शक होंगे।बिहार के प्रवासी मतदाता पोस्टल बैलट का इस्तेमाल कर सकेंगे।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा