बांग्लादेश सरकार के आत्मघाती कदम (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: इतिहास को झुठलाना और अपने राष्ट्रनिर्माता को ठुकराना आत्मघाती है। बांग्लादेश का वर्तमान नेतृत्व यही कर रहा है। बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के पुतले गिराए जाने के बाद उनकी तस्वीर वाले नोट रद्द कर दिए गए तथा उनका राष्ट्रपिता का दर्जा खत्म कर दिया गया।बांग्लादेश के स्वाधीनता सेनानियों को अब मुक्तियुद्ध के सहयोगी का नाम दिया गया। जाहिर है कि पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य देश बांग्लादेश में अपनी घिनौनी चाल चल रहे हैं ग्रामीण बैंक की संकल्पना पर अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार जीतनेवाले मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश सरकार के प्रमुख सलाहकार के रूप में शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के विरुद्ध दुश्मनी का पैंतरा अपनाया है. इतना ही नहीं, उनका भारत विरोधी रवैया भी सामने आया है।
वह विदेशी ताकतों की कठपुतली बने हुए हैं. यूनुस उस पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ा रहे हैं जिसके नेतृत्व और फौज ने बांग्लादेशियों पर अमानुषिक अत्याचार किए थे. फौजियों ने बड़ी तादाद में वहां की महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था. जनरल टिक्काखान ने कहा था कि वह बांग्लादेशियों की नस्ल बदलकर रख देगा। पूर्व पाकिस्तान को स्वतंत्र बांग्लादेश बनाने और इस्लामाबाद की गुलामी से छुटकारा दिलाने में भारत के ऐतिहासिक व अनमोल योगदान को वहां का वर्तमान नेतृत्व भूल गया. यह हद दर्जे की एहसान फरामोशी है. मोहम्मद यूनुस ने तो चीन को बांग्लादेश के विकास के लिए निमंत्रण दिया और कहा कि चीन पूर्वोत्तर भारत पर कब्जा कर बांग्लादेश के चिटगांव बंदरगाह तक अपनी पहुंच बना सकता है।
बांग्लादेश सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा देना चाहती है जिन्हें भारत ने शरण दे रखी है. मोहम्मद यूनुस सत्ता से चिपक गए हैं और चुनाव कराना नहीं चाहते। ऐसी स्थिति में उनका बांग्लादेश की सेना या बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया से टकराव होगा. जिस राह पर यह देश चल रहा है उसके दूरगामी परिणाम उसके खिलाफ जाएंगे। कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव की वजह से शीघ्र ही वह अपना लोकतंत्र खो सकता है। भारत से टकराव का रास्ता यूनुस को काफी महंगा पड़ सकता है. बांग्लादेश में कोई भी सरकार आए उसे समझना होगा कि भारत जैसे बड़े पड़ोसी देश के साथ सहयोग व अच्छे संबंध रखने में ही उसकी हर प्रकार से भलाई है।
मोहम्मद यूनुस ने तो चीन को बांग्लादेश के विकास के लिए निमंत्रण दिया और कहा कि चीन पूर्वोत्तर भारत पर कब्जा कर बांग्लादेश के चिटगांव बंदरगाह तक अपनी पहुंच बना सकता है। बांग्लादेश सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा देना चाहती है जिन्हें भारत ने शरण दे रखी है। मोहम्मद यूनुस सत्ता से चिपक गए हैं और चुनाव कराना नहीं चाहते. ऐसी स्थिति में उनका बांग्लादेश की सेना या बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया से टकराव होगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा