आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हर कार्पोरेटर सोचता है कि मैं विधायक बन जाऊं। इसी तरह विधायक भी मंत्री बनने का सपना देखता है। सपनों का कोई अंत नहीं है और सपना देखने के लिए पैसे भी नहीं लगते। किस्मत में लिखा हो तो ट्रंप जैसा बिल्डर भी राष्ट्रपति बन जाता है और मनमाने फैसले लेता है। सत्ता का पत्ता हाथ में आते ही नेता की चाल-ढाल बदल जाती है। कहावत है- कौआ चला हंस की चाल!’ हमने कहा, ‘आप कौए का उल्लेख क्यों कर रहे हैं? क्या आपको फिल्म ‘बॉबी’ का गाना याद आ गया- ‘झूठ बोले कौआ काटे, काले कौए से डरियो।’ बात-बात में झूठ बोलनेवाले नेता किसी भी कौए से नहीं डरते।
जहां तक मंत्रियों के बेकाबू होने की बात है, उन्हें कंट्रोल में रखना मुख्यमंत्री का काम है। उन्हें समझाने-बुझाने और सख्त चेतावनी देने की जिम्मेदारी सीएम और डिप्टी सीएम निभाते हैं। तांगा चलानेवाला भी तो अपने हंटर से घोड़े को काबू में रखता है।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, मंत्री को अपने आचरण का ध्यान रखना चाहिए। उसकी जरा सी चूक पार्टी और सरकार की परेशानी बढ़ा सकती है। इसलिए उसे सजग रहना चाहिए। यदि कृषिमंत्री किसानों की आत्महत्या की गमी को भूलकर सदन में मोबाइल पर रमी खेले तो उसे अलर्ट रहना चाहिए कि कोई उसका वीडियो न बना ले।
इसी प्रकार मंत्री को नोटों के ढेर के पास नहीं बैठना चाहिए। वह चाहे तो कचरे के ढेर के पास मजे से बैठ सकता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने ऐसे मंत्रियों की क्लास ली और हड़काते हुए कहा कि अगली बार ऐसी गलती की तो उन्हें अपना पद खोना पड़ेगा।’ हमने कहा, ‘राजनीति की राह कांटों भरी है। कांटा बड़ा जहरीला होता है। पिछले दिनों शेफाली जरीवाला का निधन हो गया जो ‘कांटा लगा गर्ल’ के नाम से फेमस थीं। उन पर गीत फिल्माया गया था- बंगले के पीछे, तेरी बेरी के नीचे, कांटा लगा।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख जैसे कुशल मुख्यमंत्री को पद इसलिए खोना पड़ा था क्योंकि 26/11 के आतंकी हमले के बाद जब वह होटल ताज का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनके साथ उनका अभिनेता पुत्र रितेश देशमुख और उसका डायरेक्टर मित्र रामगोपाल वर्मा भी था। एक चूक हुई तो राजनीति की लुटिया डूबी!’