सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका की वजह से टले स्थानीय चुनाव (सौ.सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन रहने की वजह से स्थानीय निकायों के चुनाव टल गए. पहले उम्मीद थी कि यह चुनाव शीघ्र ही करा लिए जाएंगे लेकिन अब पता नहीं कब इनका मुहूर्त निकलेगा. महाराष्ट्र में 23 महानगरपालिका, 25 जिला परिषद, 284 पंचायत समिति, 207 नगरपालिका तथा 13 नगरपंचायत के चुनाव अटके पड़े हैं।
मध्यप्रदेश और पंजाब में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में निर्णय हो जाने से वहां चुनाव निपट गया लेकिन महाराष्ट्र में अभी प्रतीक्षा करनी होगी. ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का आधार क्या है इस प्रश्न को लेकर राहुल रमेश वाघ की याचिका सहित सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं बकाया हैं. स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण के मामले में बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के तत्कालीन न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता व न्या. मंगेश पाटिल ने निर्णय दिया था।
इसे चुनौती देते हुए राहुल रमेश वाघ ने 30 नंवबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की तब से 39 महीने बीत गए लेकिन फैसला नहीं होने की वजह से स्थानीय निकायों के चुनाव अटके हुए हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 39 बार सुनवाई हो चुकी है. इस दौरान राज्य में ओबीसी की आबादी का प्रतिशत जानने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जयंतकुमार बांठिया की अध्यक्षता में आयोग गठित किया जिसकी सिफारिश के अनुसार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने का निर्देश न्या. खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने दिया।
राज्य की 92 नगरपालिकाओं सहित 367 स्थानीय निकायों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने की मांग वाली तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार की याचिका पर तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना ने निवृत्त होते समय आदेश दिया कि नए सीजेआई की विशेष पीठ स्थापित होने तक अर्थात 5 सप्ताह तक जैसे थे (यथास्थिति) रखी जाए. तब से अब तक 500 दिन बीत चुके हैं. इस दौरान उद्धव ठाकरे की सरकार चली गई और शिंदे सरकार बनी. फिर विधानसभा चनाव के बाद फडणवीस सरकार बनी. तब से सुनवाई टलती ही आ रही है. अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
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सुप्रीम कोर्ट के ग्रीष्मावकाश के पूर्व इस मामले का निर्णय हुआ तो भी स्थानीय निकाय के चुनाव तुरंत नहीं हो पाएंगे. संभवत: उनका मुहूर्त दशहरा-दिवाली तक निकलेगा. स्थानीय निकाय चुनाव में असामान्य विलंब होने से जनता अपने प्रतिनिधित्व के लिए तरस रही है. पंचायत, नगरपालिका या मनपा का सदस्य अपने चुनाव क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने में जितना सक्रिय रहता है, उतनी उम्मीद प्रशासक से नहीं की जा सकती. चुनाव शीघ्रताशीघ्र हो सके इसके लिए कोई उपाय योजना की जाए तो उचित रहेगा.
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा