(डिजाइन फोटो)
ब्रिटेन के आम चुनावों में 14 वर्षों बाद विपक्षी लेबर पार्टी को जबरदस्त बहुमत मिला है और सत्तारूड्र कंजर्वेटिव पार्टी की बुरी तरह से हार हुई है। भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नेतृत्व में कंजर्वेटिव पार्टी चारों खाने चित हो गई है। ऋषि सुनक ने अपनी पार्टी की हार स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सर कौर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री होंगे।
ब्रिटेन में लेबर पार्टी की यह जीत अप्रत्याशित नहीं है, चुनाव के पहले से ही यह जीत करीब-करीब तय थी। विभिन्न मीडिया सर्वेक्षणों के जो निष्कर्ष सामने आ रहे थे, उससे पता चल रहा था कि कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पाटी सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी से करीब 20 फीसदी आगे चल रही थी और ऐसे ही एग्जिट पोल के अनुमानों में भी आया था। 2019 में कंजर्वेटिव पार्टी से सांसद चुनी गई डेहेना डेविडसन ने एग्जिट पोल्स के नतीजों के बाद कहा था कि 14 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी अगर हमारी सरकार जीतती तो यह असामान्य होता। इस बार चुनाव न लड़ने वाली डेहेना ने अपनी ही पार्टी पर यह तोहमत जड़ी कि उसे सत्ता में रहने की आदत हो गई है।
इससे पता चलता है कि कंजर्वेटिव पार्टी सिर्फ लेबर पार्टी से या मतदाताओं से ही नहीं हारी, बल्कि अपने नेताओं और मंत्रियों से भी हारी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री सर रॉबर्ट बकलैंड जो कि इस बार के चुनाव में सबसे पहले हारने वालों में से थे, उन्होंने भी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि हमारी पार्टी में बहुत से लोग व्यक्तिगत एजेंडे और पद की होड़ पर फोकस कर रहे हैं। इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता चुनाव के कंजर्वेटिव पार्टी में अधि सुनक को लेकर दो खेमे बन गए थे। एक खेमा कतई नहीं चाह रहा था कि अधि सुनक अपनी सरकार दोहराएं। जिस तरह से जेरेमी कॉर्बिन लगातार अपनी पारंपरिक इस्लिंगटन सीट से जीत हासिल की है, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि मतदाताओं का रुझान इस बार पहले से ही खुलकर आपस में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे थे।
सवाल है, आपस में ही सिर फुटव्वल वाले ये हालात आखिरकार टोरियों के बीच क्यों पैदा हुए? शायद इसलिए कि देश के पहले गैरश्वेत प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को लेकर कंजर्वेटिव पार्टी आपस में काफी बंटी हुई थी। हालांकि चुनाव में सभी पार्टियों ने कुल मिलाकर 102 भारतवंशियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था, लेकिन यह बात भी है कि कंजर्वेटिव पार्टी में ऋषि सुनक को लेकर दो खेमे बन गए थे। एक खेमा कतई नहीं वाह रहा था कि ऋषि सुनक अपनी सरकार दोहराएं, जिस तरह से जेरेमी कॉर्बिन लगातार अपनी पारंपरिक इस्लिंगटन सीट से जीत हासिल की है, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि मतदाताओं का रुझान इस बार स्पष्ट रूप से लेबर पार्टी को ही जिताना था।
कंजर्वेटिव पार्टी की लिज ट्रस भी चुनाव हार गई, जो कि साउथ वेस्ट नॉरफॉक से चुनाव लड़ रही थीं। लिज दूस 2022 में 49 दिनों के लिए प्रधानमंत्री भी रही थीं। वह अपने प्रतिद्वंद्वी से सिर्फ 600 वोटों से हार गई, जबकि 2019 में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 26,000 वोटों से हराया था। इससे पता चलता है कि इन चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी पूरी तरह से बिखरी और लगभग हारने के लिए स्पष्ट रूप से लेबर पार्टी को ही जिताना था। पहले से तैयार बैठी थी। इस बार के चुनाव की महत्वपूर्ण खूबी यह रही है कि 242 महिलाएं चुनाव जीती हैं, जबकि पिछली बार सिर्फ 220 महिलाएं ही चुनाव जीती थीं। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा