(डिजाइन फोटो)
अमेरिका की चेतावनी के बाद भी ईरान ने 1 अक्टूबर की रात को इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं। हालांकि इस हमले से इजराइल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ। इजराइल का यह दावा इसलिए सही है क्योंकि अमेरिका के जरिये इजराइल को हमले के कई घंटे पहले ही इसके बारे में पता चल गया था।
इसलिए इजराइल में सभी सार्वजनिक कार्यक्रम रोक दिए और एक जगह पर 30 से ज्यादा लोगों के इकट्टे होने पर भी पाबंदी लगा दी थी। इसलिए जब पूरे इजराइल में करीब 30 मिनट तक धड़धड़ मिसाइलें फटती रहीं तो वे या तो हवा में फट रही थीं या खाली जमीन पर 27 सितंबर को इजराइल ने बेरूत में हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर 80 टन बारूद का जो धरां देने वाला हमला किया था, जिसमें हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह मारा गया था।
ईरान का 180 मिसाइलों का करारा हमला उसी का जवाब था। इजराइल इसके लिए पहले से सतर्क था, साथ ही उसे अमेरिका की चुस्त दुरुस्त खुफिया सूचनाओं की सुविधा भी हासिल है। इस कारण उसने एक साथ 4 मोर्चों पर लड़ते हुए भी ईरान के करारे हमले को नाकाम कर दिया।
उसकी मिसाइल छतरी आयरन डोम और डेविड स्लिंग ने मोसाद के हेडक्वार्टर, नेवातिम एयरबेस और तेल नोफ एयरबेस को निशाना बनाकर किये गए हमले को हवा में ही रोक दिया। इस समय इजराइल गाजा, लेबनान और ईरान के चार अलग अलग मोर्चों पर एक साथ जंग लड़ रहा है।
इसके बाद भी इजराइल कहता है, हमारे पास अपने सभी दुश्मनों के लिए प्लान है और हम अपनी मर्जी के मुताबिक समय और स्थान तय करके उन्हें सबक सिखायेंगे। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी मध्यपूर्व में तुर्किये से लेकर कतर तक 8 अलग अलग जगहों पर तैनात करीब 45000 अमेरिकी सैनिकों और युद्धपोतों को इजराइल की मदद करने का आदेश दिया है।
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कई जानकारों ने आशंका जताई है कि ईरान के हमले के बाद विश्व युद्ध का खतरा मंडराने लगा है, लेकिन इजराइल का जो वर्चस्व दिख रहा है, उसे देखते हुए नहीं लग रहा कि हमास, हिजबुल्ला से लेकर ईरान तक इजराइल को बैकफुट पर धकेल पायेंगे। जब तक इजराइल का दबदबा है यूरोप या अमेरिका को अपने स्तर पर जंग में कूदने की कोई जरूरत नहीं है।
ईरान के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने नेशनल सिक्योरिटी टीम के साथ जो बैठक की है, उसका भी यही आकलन है। हां, ऐसे हमलों से इजराइल को कैसे बचाया जाए और इजराइल में फंसे अमेरीकियों की मदद कैसे की जाए इस पर जरूर गंभीरता से तैयारी हो रही है।
इजराइल इस जंग में किस कदर अपर हैंड है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 2 महीने के भीतर उसने हिजबुल्लाह की पूरी लीडरशिप खत्म कर दी है। 27 सितंबर को हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर 80 टन का बम फोड़कर उसने जहां इसके चीफ हसन नसरल्लाह का खात्मा कर दिया था, वहीं इसके पहले 30 जुलाई को लेबनान पर एक एयरस्ट्राइक में हिजबुल्लाह के दूसरे सबसे सीनियर लीडर फुआद शुकर को मार गिराया था।
इसके ठीक अगले दिन यानी 31 जुलाई को उसने ईरान पर हमला करके हमास चीफ इस्माइल हानियह को भी मौत की नींद सुला दिया था। जबकि इजराइल पर ईरान के हमले के ठीक पहले इजराइली सेना ने एक और दावा किया है कि उसने हिजबुल्लाह के एक डिप्टी कमांडर मोहम्मद जाफर कासिर को भी मार गिराया है।
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कासिर ईरान से हिजबुल्लाह को मिलने वाले हथियारों की सप्लाई का इंचार्ज था। इस तरह देखें तो इजराइल सब पर अकेले ही इस कदर भारी पड़ा है कि अब हिजबुल्लाह की लीडरशिप में कोई सीनियर नेता नहीं बचा है। वहीं हमास की लीडरशिप में भी सिर्फ याह्या सिनवार ही जीवित बचा है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा