
वर्ल्ड चैंपियन बनने से एक कदम दूर भारत, महिला क्रिकेट टीम रचेगी इतिहास
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने लगातार अजेय रही 7 बार की विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया की बाजी पलटकर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को ही नहीं, पूरी दुनिया को चकित कर दिया। जेमिमा रोड्रिग्ज और हरमनप्रीत कौर ने इस मैच में शानदार पारी खेलते हुए भारत को विश्व कप क्रिकेट के इतिहास में तीसरी बार फाइनल में पहुंचा दिया और अब लगता है महिला टीम का पहला विश्व खिताब बस हमारी दहलीज पर रखा है। लेकिन सेमीफाइनल की यह लड़ाई अद्भुत रही।इसमें जेमिमा को तीन बार जीवनदान मिला, वह पिच पर थकीं, गिरीं और रोईं भी, लेकिन हार नहीं मानी। पहले कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ, फिर रिचा घोष और दीप्ति शर्मा के साथ और अंत में अमनजोत कौर के साथ भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी। नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर बैटिंग चुनी और लिच फील्ड के शतक (119 रन) व एस्ले गार्डनर के तेजी से बनाये गए 63 रनों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 338 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य भारतीय टीम के सामने रखा।
यह वर्ल्ड कप में नॉकआउट का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था।जाहिर है भारत को वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने के लिए इतिहास रचना था और वन डे इतिहास के सबसे बड़े टारगेट का पीछा करना था।यह सबको मुश्किल लक्ष्य लग रहा था। पावर प्ले में जिस तरह ऑस्ट्रेलिया की टीम ने शेफाली वर्मा को 10 रनों और स्मृति मानधना को 24 रनों पर ही चलता किया था, उसके चलते यह लक्ष्य असंभव ही लग रहा था।
लेकिन नंबर चार पर उतरीं कप्तान हरमनप्रीत कौर और नंबर तीन पर खेल रहीं जेमिमा रोड्रिग्ज ने ऐसी पारी संभाली कि 18वें ओवर तक दोनों ने 6 रन प्रति ओवर का रन रेट कायम रखा और -दोनो ने अपनी-अपनी हॉफ सेंचुरी पूरी कर ली।इसके बाद दोनों ने टीम को 200 के पार पहुंचा दिया। 156 गेंदों पर दोनो ने 167 रनों की साझेदारी करके, जब हरमनप्रीत कौर 88 गेंदों पर 89 रन बनाकर आउट हो गईं, उस समय जेमिमा – 68 गेंदों में 66 रन बनाकर खेल रही थीं। तेजी से रन लेने के – चक्कर में रनआउट होने के बाद हरमनप्रीत कौर भावनात्मक – रूप से लगभग टूट गईं, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि शायद – एक बार फिर फाइनल में पहुंचने से टीम चूक जायेगी।
ये भी पढ़े: नवभारत विशेष: क्या कोई वेतन कम करने की हिम्मत करेगा?
लेकिन मैदान में थकने, गिरने, मगर उठकर संघर्ष जारी रखने वाली जेमिमा ने अपने कप्तान को निराश नहीं होने दिया। इस बीच जेमिमा की किस्मत ने भी उनका खूब साथ दिया, क्योंकि 127 रनों की अपनी पारी में उन्हें तीन बार जीवनदान मिला, जिससे वह क्रीज में मौजूद रहीं। इस तरह वह रिचा घोष और अमनजोत कौर के साथ लड़कर भारत को 8 गेंद शेष रहते फाइनल में पहुंचा दिया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब भारतीय महिला क्रिकेट टीम उसी मोड़ पर खड़ी है, जहां 1983 में सेमीफाइनल जीतकर भारतीय पुरुषों की टीम खड़ी थी।
हालांकि पुरुषों की टीम के विपरीत भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब तक के विश्व कप इतिहास में दो बार, पहले 2005 और 2017 में विश्व कप के फाइनल में पहुंच चुकी हैं। 2017 के विश्व कप फाइनल में पहुंचाने का श्रेय भी एक तरह से हरमनप्रीत कौर को ही था, जब उन्होंने सेमीफाइनल में शानदार 171 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी। इन दोनों बार विश्व कप उठाने के मौके भारतीय महिला टीम गंवा दिया मगर अब तीसरे मौके की दहलीज पर पहुंचकर भारतीय टीम कभी यह मौका आसानी से नहीं गंवायेगी।
लेख- वीना गौतम के द्वारा






