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नवभारत डिजिटल डेस्क: जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था तो अमेरिका के आग्रह पर भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदना शुरू कर दिया था, ताकि तेल के ग्लोबल दामों में अत्यधिक वृद्धि को रोका जा सके।अब रूसी तेल का बहाना बनाकर अमेरिका ने भारत के विरुद्ध व्यापार युद्ध छेड़ दिया है।उसके गृह सुरक्षा विभाग ने नोटिफाई किया है कि भारत से आयात होने वाले अधिकतर सामानों पर 27 अगस्त से 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा, जिसमें 25 प्रतिशत रूसी तेल लेने की वजह से ‘जुर्माना’ है, जिसे अब व्हाइट हाउस ‘प्रतिबंध’ कह रहा है।
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि चीन भी बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदता है, लेकिन अमेरिका ने उस पर केवल 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है।आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि वॉशिंगटन व दिल्ली के बीच दरवाजे बंद हो गए और ट्रंप अपना सारा गुस्सा भारत पर निकालने लगे ? गलती दोनों ट्रंप व मोदी की है।दो देशों के बीच राजनयिक संबंधों में कुछ भी व्यक्तिगत नहीं होता है, लेकिन इन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को ‘माई फ्रेंड’ कहकर कूटनीति पर व्यक्तिगत रिश्तों को प्राथमिकता देने का प्रयास किया।चूंकि मोदी ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा दे चुके थे (जो कि उन्हें नहीं देना चाहिए था, क्योंकि किसी के चुनाव में अन्य देश के नेता का हस्तक्षेप करना राजनयिक दृष्टि से उचित नहीं है) इसलिए जब जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान मोदी अमेरिका के दौरे पर थे और ट्रंप दोबारा व्हाइट हाउस में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे, तो उन्होंने चुनावी सभा में दावा किया कि ‘माय फ्रेंड मोदी इज कमिंग’, लेकिन मोदी ने ट्रंप से मुलाकात नहीं की।
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अहंकारी ट्रंप को यह बात इतनी बुरी लगी कि उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मोदी को आमंत्रित नहीं किया।फिर जब मोदी बाद में ट्रंप से मिलने व्हाइट हाउस में गए तो ट्रंप उन्हें रिसीव करने के लिए दरवाजे पर नहीं आए, जबकि उसी दिन ट्रंप ने चार अन्य देशों के प्रमुखों का स्वयं अपने ऑफिस के दरवाजे पर स्वागत किया था.
रिश्तों में खटास पड़ चुकी थी, जो उस समय अधिक चिंताजनक हो गई, जब ट्रंप ने अवैध भारतीय प्रवासियों को हथकड़ी व बेड़ी लगाकर सैन्य हवाई जहाज में वापस भारत भेजा।फिर ऑपरेशन सिंदूर की सीजफायर का ट्रंप स्वयं क्रेडिट लेने लगे और उन्होंने 40 से अधिक बार दावा किया कि व्यापार का प्रलोभन देकर उन्होंने भारत व पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया है।इसी स्वयंभू दावे की आड़ में ट्रंप भारत के साथ ऐसा व्यापार समझौता करना चाहते थे, जो विशेषरूप से भारत के डेरी व कृषि किसानों के हित में नहीं था।
भारत ने यह व्यापार समझौता नहीं किया।जर्मनी के एक दैनिक ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान मोदी ने ट्रंप की चार कॉल्स का जवाब नहीं दिया है, तो 50 प्रतिशत टैरिफ दो नेताओं के अहंकार का नतीजा है।इस टैरिफ को लागू करने के लिए जैसे ही नोटिफिकेशन जारी किया गया तो सेंसेक्स में 849 पॉइंट्स की गिरावट आ गई, वह 81,000 के स्तर के नीचे चला गया और निवेशकों के 5.4 लाख करोड़ रूपये डूब गए।
लेख – डॉ.अनिता राठौर के द्वारा