प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, फोटो- सोशल मीडिया
BJP President: प्रधानमंत्री शुक्रवार से जापान और चीन की 4 दिन की यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि यह मुलाकात उनके विदेश दौरे से पहले ही हो सकती है। इसकी एक अन्य वजह यह बताई जा रही है कि वे सितंबर के पहले सप्ताह में विदेश दौरे से वापस आएंगे। उसके कुछ दिन बाद ही पितृ पक्ष शुरू हो जाएंगे।
आमतौर पर हिंदू धर्म को मानने वाले पितृपक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा के नये अध्यक्ष पर संघ प्रमुख और प्रधानमंत्री की बात इससे पहले ही हो सकती है।
हालांकि शिवराज का नाम सामने आने के बाद से भाजपा का एक वर्ग यह कह रहा है कि अगर चौहान अध्यक्ष बनाए जाते हैं तो भाजपा को आने वाले समय में उसका नुकसान हो सकता है। इसकी वजह यह है कि इससे भाजपा का जातीय समीकरण गड़बड़ हो जाएगा। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बीच जल्द मुलाकात हो सकती है।
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए सीवी राधाकृष्णन भी ओबीसी वर्ग से हैं। ऐसे में अगर नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी ओबीसी वर्ग से लिया जाता है तो यह भले ही ओबीसी वर्ग को अच्छा संदेश दे लेकिन इससे अगड़ों के साथ ही पिछड़े और अति पिछड़े पार्टी से दूर हो सकते हैं। जो दीर्घकाल में बड़े नुकसान का सबब हो सकते है।
यही नहीं, एक वर्ग का यह कहना भी है कि जब भाजपा को अगले 20-30 साल की रणनीति बनाकर काम करता है तो अध्यक्ष अपेक्षाकृत युवा होना चाहिए। उस पैमाना के लिहाज से भी शिवराज का चयन उचित नहीं हो सकता है।
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हालांकि इसको लेकर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नया अध्यक्ष कौन होगा। यह गुजरात और यूपी के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के बाद ही तय होगा। इस समय किसी भी नेता का नाम नए अध्यक्ष के लिए तय नहीं हुआ है। ऐसे में यह कहना कि चौहान नए अध्यक्ष हो रहे हैं। यह पूरी तरह से गलत है।