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नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, लास एंजिल्स की आग में अरबों डालर की संपत्ति स्वाहा हो गई। यह बहुत बड़ा लॉस है और एंजिल्स माने देवदूत भी इसे नहीं बचा सके। जंगल की आग जब फैलती है तो बहुत दूर तक जाती है। इसे हिंदी में दावानल कहते हैं।’’
हमने कहा, ‘‘आग का मानव जीवन के विकास में आदिम युग से योगदान रहा है। आदिमानव पहले कच्चा मांस खाता था लेकिन जब उसने जंगल की आग में जले पशुओं का मांस खाया तो उसे स्वादिष्ट लगा। उसने चकमक पत्थर रगड़कर आग पैदा करना सीख लिया जो दुनिया का पहला आविष्कार था।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इश्क की आग आशिकों के दिल में लगा करती है। राजकपूर ने ‘आग’ नामक फिल्म बनाई थी। सिप्पी ने फिल्म शोले बनाई। धर्मेंद्र की पहली फिल्म का नाम शोला और शबनम था। आपने भगवान दादा और गीताबाली पर फिल्माया ‘अलबेला’ का गीत सुना होगा- शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के, दर्द जवानी का सताए बढ़-बढ़ के! पुरानी फिल्मों का हताश हीरो गाता था- सीने में सुलगते हैं अरमां, आंखों में उदासी छाई है।’’
हमने कहा, ‘‘आग को भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखिए। हमारे देश में द्रौपदी अग्निपुत्री थी जो राजा द्रुपद के हवनकुंड से पैदा हुई थी। भगवान कृष्ण ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर बनाने के लिए खांडव वन को जलवाया था। जब जमीन उपलब्ध हो गई तो देवशिल्पी विश्वकर्मा ने वहां ऐसा अनोखा महल बनाया था जिसे देखकर कौरव भी चकरा गए थे। कौरवों ने पांडवों को जलाने के लिए लाक्षागृह या लाख से निर्मित आवास बनवाया था। विदुर से सूचना मिलने पर पांडव लाक्षागृह की आग से समय रहते बच निकले। पुराणों में अग्नेयास्त्र का उल्लेख है।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ लोगों का काम नफरत, द्वेष और सांप्रदायिकता की आग फैलाना होता है। वह किसी को सुखी देखना नहीं चाहते। पाकिस्तान आतंकवाद की आग भड़काता है। रूस-यूक्रेन युद्ध तथा इजराइल-हमास की लड़ाई की आग अब तक नहीं बुझ पाई है। पता नहीं, कब उनके कलेजे में ठंडक पड़ेगी!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा