हरियाणा सरपंच का मामला EVM को लेकर फिर संदेह गहराया (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: चुनाव आयोग ने बार-बार दावा किया है कि ईवीएम में कोई छेड़छाड़, धांधली या गड़बड़ी नहीं की जा सकती लेकिन इसके बावजूद हरियाणा की एक ग्राम पंचायत के सरपंच चुनाव में 3 वर्ष बाद पुन: मतगणना की गई तो चुनाव परिणाम बदल गया।नवंबर 2022 में हरियाणा के पानीपत जिले की बुआना लाखू ग्रामपंचायत के सरपंच पद के चुनाव में मतगणना के बाद पराजित उम्मीदवार ने आपत्ति उठाई।कुल 3,767 वोटों में से विजयी प्रत्याशी को 1,117 तथा पराजित प्रत्याशी को 804 वोट मिले थे।इस तरह दोनों के बीच 313 वोटों का अंतर था।
पराजित उम्मीदवार की शिकायत थी कि एक बूथ पर उसे मिले सारे मत विपक्षी प्रत्याशी के खाते में चले गए और उसे विजयी घोषित किया गया।हारे हुए प्रत्याशी ने यह बात चुनाव अधिकारी के ध्यान में ला दी।इसलिए उसी दिन पुन: मतगणना हुई जिसमें हारे हुए उम्मीदवार को ज्यादा मत मिलने से उसे विजयी घोषित किया गया परंतु उसके पहले कम मत मिलनेवाले को ही विजयी घोषित कर जीत का प्रमाणपत्र दिया जा चुका था।मतदान अधिकारी ने निर्णय बदला और दूसरे को विजयी घोषित किया।इस वजह से पुन: मतगणना में हारे उम्मीदवार ने इस निर्णय को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार नतीजा घोषित हो जाने के बाद चुनाव अधिकारी उसे बदल नहीं सकता।हाईकोर्ट ने वास्तव में कम वोट पानेवाले को सरपंच के रूप में काम करने को मंजूरी दी।इसके बाद पुन: मतगणना की मांग करनेवाले उम्मीदवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी ईवीएम अपने पास मंगवा लीं।दोनों उम्मीदवारों के सामने सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में पुन: मत गिने गए।यह काम रजिस्ट्रार दर्जे के अधिकारी के सामने हुआ।पहली गिनती में पराजित हुए उम्मीदवार को 1051 वोट मिले तथा सरपंच निर्वाचित प्रत्याशी को 1,000 वोट मिले।फिर पराजित प्रत्याशी को 33 महीने सरपंच रहने का मौका मिला।हरियाणा के इस प्रकरण को देखते हुए पता चल गया कि मतगणना में गड़बड़ी हो सकती है।
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लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी शंका होने पर पुन: मतगणना की जा सकती है।यद्यपि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत कराए जाते हैं और स्थानीय निकाय के चुनाव राज्य चुनाव आयोग कराता है।दोनों कानून अलग हैं।लोकसभा व विधानसभा चुनाव में दोबारा मतगणना की मांग किए जाने पर केवल कुछ मतदान केंद्रों के मतों की पुन: गिनती की जाती है।सारे वोट फिर से नहीं गिने जाते।यदि समूचे वोटों की फिर से गिनती की जाएं तो चुनाव नतीजे बदल भी सकते हैं।ऐसे में ईवीएम की प्रामाणिकता संदेह के घेरे में आ जाती है.
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा