महाराष्ट्र चुनाव को लेकर पूर्व सीईसी का बयान (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक दिन में वोटों का प्रतिशत बढ़ जाने पर हैरत जताते हुए इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर की शाम 5 बजे तक मतदान का आंकड़ा 55 प्रतिशत था लेकिन दूसरे दिन जारी अंतिम आंकड़े में यह आंकड़ा बढ़कर 67 प्रतिशत तक पहुंच गया जो लगभग 3 दशकों में सर्वाधिक था। आखिर यह मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ा? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पाटोले ने भी पूछा कि 76 लाख मतदाता कैसे बढ़ गए।
चुनाव आयोग ने बताया कि रात तक मतदाताओं की कतारें लगी थीं। शाम तक 58।22 प्रतिशत मतदान हुआ था तो देर रात साढ़े 11 बजे तक वोटिंग कैसे हुई। यही मुद्दा एनसीपी (शरद पवार) के राष्ट्रीय महासचिव डा। जितेंद्र आव्हाड ने उठाया कि मतदान समाप्त हो जाने के बाद शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच मतदान का प्रतिशत अचानक कैसे बढ़ जाता है। शाम 6 बजे के बाद आधा से 2 प्रतिशत तक मतदान बढ़ सकता है लेकिन कुछ जिलों में वोटिंग 10 प्रतिशत तक बढ़ गई। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त के बयान की अवहेलना नहीं की जा सकती। इस समय लगभग 95 मतदाता क्षेत्र में प्रत्यक्ष हुए मतदान व ईवीएम के वोट में तालमेल नहीं देखा गया।
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मतदान की आंकड़ेवारी से पता चला कि मुंबई के एक मतदान केंद्र में मनसे प्रत्याशी को उसके परिवार के लोगों के वोट भी नहीं मिले। क्या ऐसा हो सकता है? नांदेड लोकसभा चुनाव में 6 माह पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी जीता था लेकिन इस बार उस क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस हार गई। ऐसा कैसे हुआ? नाशिक जिले के कुछ मतदान केंद्रों में महायुति के विजयी उम्मीदवारों के वोटों के आंकड़े लगभग एक समान हैं। क्या यह योगायोग है? शंका केवल महाविकास आघाड़ी के नेताओं को नहीं है, महायुति का साथ देनेवाले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की है।
क्या ऐसा ईवीएम के माध्यम से किया जाता है, इसका कोई सबूत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ईवीएम पर शंका जतानेवाली याचिका ठुकराते हुए याचिकाकर्ताओं से पूछा कि ऐसा विचार आपके मन में आता कैसे है? इतने पर भी चुनाव प्रक्रिया को लेकर लोगों के मन में संदेह है। स्वयं महायुति के नेताओं को भी उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इतनी जबरदस्त सफलता मिलेगी।
6 माह पूर्व लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी 155 और महायुति 125 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी। तब से 10-20 सीटों का फर्क पड़ सकता था लेकिन क्या जनमानस इतना बदल गया? मतगणना के शुरूआती 2 घंटों में महायुति व महाविकास आघाड़ी के बीच कड़ा मुकाबला था लेकिन उसके बाद के 2 घंटों में चित्र बदल गया।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा