विपक्ष की आपत्तियों पर गौर करे चुनाव आयोग (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: राज्य में अनेक स्थानों पर मतदाता सूची में महागड़बड़ी के रहते निकाय चुनाव कैसे स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय हो सकते हैं? महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने राज्य निर्वाचन आयोग से मिलकर निकाय चुनाव रद्द करने की मांग की।मतदाता सूची इतनी दोषपूर्ण है कि इसे देखकर कोई भी हैरान रह जाए।चारकोप की महिला वोटर नंदिनी महेंद्र चव्हाण की उम्र 124 साल और उसके पिता श्रीनाथ चव्हाण की उम्र 43 वर्ष दर्शाई गई है।एक ही पते पर 200 से अधिक मतदाता दर्शाए गए हैं।एक ही मतदाता का अनेक जगह पर नाम छपा है।किसी वोटर के नाम के साथ फोटो नहीं है।
मराठी मतदाता का मलयालम भाषा में नाम, कितने ही वोटर के नाम मतदाता सूची से नदारद होना जैसी कितनी ही गलतियां हैं।इसलिए विपक्ष के नेताओं ने मांग की है कि पहले मतदाता सूची दुरुस्त की जाए, इसके बाद चुनाव कराया जाए।इन नेताओं ने तो यह भी कह दिया कि यदि वोटर लिस्ट सुधार नहीं सकते तो इलेक्शन की बजाय सिलेक्शन कर डालें।महाविकास आघाड़ी के प्रतिनिधि मंडल ने महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी एस।चोक्कलिंगम से मंत्रालय में चर्चा की और प्रश्नों की बौछार कर दी।उद्धव ठाकरे ने कहा कि निकाय चुनाव वीवी पैट के बगैर कराया जा रहा है।क्या सबूत मिटाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।वोटर को पता नहीं चलेगा कि उसका वोट किस प्रत्याशी को जा रहा है? 1 जुलाई को विधानसभा मतदाता सूची को प्रमाण मानकर उसके आधार पर स्थानीय निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट बनाई गई या बनाई जा रही है।
विपक्षी नेताओं की मांग है कि पहले इसकी खामियां दूर की जाएं।इसके बाद ही अंतिम मतदाता सूची तैयार की जाए।इसके अलावा 1 जुलाई के बाद मतदान के पात्र 18 वर्षीय युवाओं को मतदान से वंचित किया गया है।इस पर भी आपत्ति है।नेताओं ने प्रभाग रचना तथा ईवीएम से जुड़े मुद्दे भी उठाए।मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि 5 वर्ष से निकाय चुनाव नहीं हुए हैं ऐसे में यदि 6 माह की और देरी होगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विपक्ष यह धारणा पैदा करने की कोशिश कर रहा है कि चुनाव पक्षपातपूर्ण होते हैं।विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी नेताओं ने वोट चोरी का आरोप लगाया था।शरद पवार जानते थे कि ऐसी बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलेगा इसलिए वह बुधवार को विपक्षी नेताओं के साथ नहीं गए।ऐसा नहीं लगता कि चुनाव आयोग अब अपनी भूमिका बदलेगा।
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मतदाता सूची में सुधार एक निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है।यह सूची राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को दी भी जाती है व समय-समय पर आपत्तियों का निराकरण भी होता है।मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया रोकी नहीं जाएगी।विपक्ष की इस मांग पर अवश्य गौर किया जाना चाहिए कि नए मतदाताओं के नाम सूची में शामिल किए जाएं।विपक्ष केवल इस बात पर संतोष कर सकता है कि चुनाव आयोग ने उसकी आपत्तियां सुन लीं और उन पर विचार करने का आश्वासन दिया।विपक्ष ने भी तो यह मुद्दा देर से उठाया।आयोग को अपनी विश्वसनीयता सिद्ध करनी चाहिए।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा