
महायुति में अहं की लड़ाई (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: सरकार द्वारा घोषित कोई योजना या मंत्रिमंडल का निर्णय सामूहिक दायित्व माना जाता है इसलिए सरकार में शामिल मंत्रियों को उसकी आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसके बावजूद सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट इसे मानने को तैयार नहीं हैं। रकम कटौती का मुद्दा बार-बार उठाकर वे स्वयं की स्थिति हास्यास्पद बना रहे हैं। जब चुनाव जीतने के उद्देश्य से ‘लाडकी बहीण’ योजना बनाई गई तब शिरसाट की पार्टी सत्ता में शामिल थी। एकनाथ शिंदे आज भी कहते हैं कि इस योजना के वही जनक थे।
फिर शिंदे के सिपहसालार कहलानेवाले शिरसाट कैसे शिकायत कर सकते हैं कि इस योजना के लिए अन्य विभागों की निधि हस्तांतरित की गई? इसलिए अब वित्त विभाग को दोषी ठहराने का अर्थ क्या है? शिरसाट ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग की 410 करोड़ रुपए की निधि ‘लाडकी बहीण योजना’ के लिए हस्तांतरित की गई। शिरसाट के सामाजिक न्याय विभाग का वार्षिक बजट लगभग 25,000 करोड़ रुपए का है। इसमें 22,000 करोड़ रुपए केंद्र से मिलते हैं तथा 2500 करोड़ रुपए राज्य सरकार देती है। यदि 400 करोड़ रुपए काटे गए तो भी 2100 करोड़ रुपए उनके विभाग को मिलेंगे। इस रकम से शुरू के 100 दिनों में शिरसाट ने क्या किया? यह बताना छोड़कर वह अजीत पवार की राष्ट्रवादी पार्टी को दोष देने लगे।
आजकल दलित, विमुक्त जातियों व आर्थिक दृष्टि से कमजोर घटकों की योजनाओं तथा छात्रवृत्ति के लिए दी जानेवाली राशि सीधे लाभार्थी के खातों में जाती है। इसलिए कहने को क्या रह जाता है! विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शिरसाट लाडकी बहीण योजना की तारीफ करते थे अब वह इसकी आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि पैर तोड़ दिए और भागने के लिए कहा जा रहा है। रायगड़ के पालकमंत्री पद को लेकर उत्पन्न विवाद की वजह से उन्होंने आदिती ठाकरे व अजीत पवार को निशाना बनाया है। शिरसाट ने सामाजिक न्याय विभाग की निधि में कटौती का मुद्दा जिस तरह उठाया है, उसमें उनकी वंचित घटकों के प्रति वेदना कम बल्कि राजनीति ज्यादा नजर आती है। निधि कटौती की सार्वजनिक आलोचना करनेवाले शिरसाट के पीछे किसका हाथ है? उनके ऐसा करने से सरकार के मतभेद सामने आते हैं।
शिंदे और उनके मंत्री जिस तरह से मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं उससे मुख्यमंत्री की नाराजगी स्वाभाविक है। अजीत पवार को जितने अधिकार व स्वतंत्रता दी गई है उतनी शिंदे व उनके मंत्रियों को नहीं। अपने 7 सांसदों के बल पर शिंदे फडणवीस को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। एक तरह से महायुति में अहं की लड़ाई देखी जा रही है। सामाजिक न्याय व आदिवासी विभाग के मंत्री शिरसाट की नाराजगी देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र के पास प्रस्ताव भेजकर 2025-26 के लिए 1।32 लाख करोड़ रुपए कर्ज की मांग की है। इसमें से लाडकी बहीण के लिए हर माह 3,000 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






