
नेपाल ‘Gen Z’ प्रोटेस्ट की रिपोर्ट जारी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Nepal Gen Z Movement: नेपाल में सितंबर में भड़के ‘Gen Z मूवमेंट’ की वास्तविक तस्वीर अब आधिकारिक आंकड़ों के साथ सामने आई है। सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने सिंहदरबार में आयोजित कैबिनेट बैठक के दौरान अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें बताया गया कि इस दो दिवसीय आंदोलन ने देश को 84.45 अरब नेपाली रुपए की भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई है। हिंसा में 77 लोगों की मौत और 2,429 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें बड़ी संख्या में युवा शामिल थे।
रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन 8 और 9 सितंबर को चरम पर था, जिसके दौरान केवल दो दिनों में 57 लोगों की जान गई, जबकि बाद के दिनों में 20 और लोगों की मौत हुई। घायलों में 17 बच्चे 13 वर्ष से कम आयु के थे और 1,433 घायलों की उम्र 13 से 28 वर्ष के बीच रही, जो इस आंदोलन में युवाओं की अहम भागीदारी की ओर संकेत करता है।
समिति ने बताया कि हिंसा का असर नेपाल के सभी सात प्रांतों में महसूस किया गया। देश के 77 जिलों में से 54 जिले हिंसा की चपेट में आए, जबकि 262 स्थानीय इकाइयों ने किसी न किसी रूप में नुकसान का सामना किया। सरकारी और सार्वजनिक ढांचों पर सबसे अधिक असर पड़ा, जिनमें कुल 2,168 संस्थान प्रभावित हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2,671 इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं, जिनमें सरकारी कार्यालय, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र से लेकर स्थानीय प्रशासनिक भवन शामिल हैं। केवल भवनों को हुए नुकसान की लागत 39.31 अरब रुपए आंकी गई है। इसके अलावा, 12,659 वाहनों को क्षति पहुंची, जिससे 12.93 अरब रुपए का नुकसान हुआ।
क्षति के विभाजन में सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का नुकसान 44.93 अरब रुपए, निजी क्षेत्र का 33.54 अरब रुपए और सामुदायिक क्षेत्र का 5.97 अरब रुपए बताया गया है। समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि नुकसान सिर्फ भौतिक ढांचे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सेवाओं के ठप होने से देश की आर्थिक गतिविधियों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा।
यह भी पढ़ें:- खैबर पख्तूनख्वा में पुलिस चेकपोस्ट पर आतंकी हमला, तीन घंटे चली मुठभेड़; पांच पुलिसकर्मी घायल
कैबिनेट बैठक में समिति ने पुनर्निर्माण का विस्तृत खाका भी प्रस्तुत किया। क्षतिग्रस्त सरकारी और सार्वजनिक ढांचों के पुनर्निर्माण के लिए 36.30 अरब नेपाली रुपए की आवश्यकता बताई गई है। यह समिति 21 सितंबर 2025 को गठित की गई थी और उसने 75 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी।
रिपोर्ट के आने के बाद प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने और सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया है। जेन जी मूवमेंट के बाद सरकार बदलाव भी हुआ था, जिसमें केपी शर्मा ओली की सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। यह आंदोलन न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी नेपाल के लिए बड़ा सबक साबित हुआ है।






