पहलगाम हमले की निंदा हमारी कूटनीतिक जीत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: यह भारत की कूटनीतिक जीत है कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया जिसमें पाकिस्तान, तुर्की और चीन समेत सभी सदस्य देशों ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा की।इस घोषणापत्र में पहलगाम के मृतकों व घायलों के प्रति गहरी सहानुभूति व संवेदना व्यक्त की गई और कहा गया कि ऐसे हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।सदस्य देशों ने आतंकवाद के सभी रूपो की कड़ी निंदा की।
यह घोषणापत्र आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा है क्योंकि आतंकी पाक के ही भेजे हुए थे।जब पुतिन और शी जिनपिंग प्रस्ताव के पक्ष में थे तो पाकिस्तान और तुर्की उनके सामने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर सकते थे।प्रस्ताव पर उन्हें भी हामी भरनी पड़ी।मानना होगा कि 2 महीने में पासा पलट गया।जून में हुई एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद को लेकर मतभेद थे।बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खरी-खरी सुना दी थी।तब मतभेदों के चलते घोषणापत्र जारी नहीं हो सका था।तब पाक का साथ तुर्की दे रहा था और चीन चुप्पी साधे हुए था।
अब हालत यह हुई कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को एससीओ बैठक में पूछा तक नहीं गया।पुतिन और शी जिनपिंग का सारा ध्यान मोदी पर केंद्रित था।बैठक में जाते समय मोदी को पुतिन ने अपनी कार में लिफ्ट दी और दोनों के बीच लंबी गोपनीय चर्चा हुई।फिर पुतिन व मोदी बात करते हुए आगे बढ़ गए।उन्होंने वहीं खड़े पाक प्रधानमंत्री की ओर देखा तक नहीं।वास्तव में ट्रंप के टैरिफ युद्ध की वजह से भारत, रूस व चीन की तिकड़ी बन रही है।भारत और चीन की दोस्ती मजबूत हुई तो विदेशी खैरात पर निर्भर पाकिस्तान और बांग्लादेश की कीमत अपने आप घट जाएगी।ट्रंप की मुंहजोरी का करारा जवाब देने की ताकत भारत, रूस व चीन की त्रिशक्ति में है।चीन सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक है लेकिन भारत अपनी नीतिगत स्वायत्तता कायम रखते हुए अपने राष्ट्रीय हितसंबंधों की रक्षा करेगा।
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इस वर्ष की पहली तिमाही में चीन से भारत ने 92.7 अरब डॉलर का आयात किया तथा चीन को 43.3 अरब डॉलर का निर्यात किया।व्यापार घाटे से निपटने के लिए अब भारत को निर्यात बढ़ाते हुए आयात कम करना होगा।चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि सीमा विवाद की छाया दोनों देशों के अन्य क्षेत्रों में संबंध पर नहीं पड़नी चाहिए।उन्होंने हाथी और ड्रैगन के सहयोग की बात कही।भारत को चीन से रेयर अर्थ की आपूर्ति होती है तो उसके अंतरिक्ष, दूरसंचार, आटोमोबाइल आदि क्षेत्रों को उसका लाभ मिलेगा।चीन से संबंध बढ़ाने में सावधानी के पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा