मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की जनता को पारदर्शक, गतिशील कामकाज की गारंटी दी है। इसी तरह राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार और तबादले में होनेवाली धांधली रोकने की घोषणा की है। ऐसी ही घोषणा सभी मंत्रियों को करनी चाहिए और साथ ही उस पर अमल भी करवाना चाहिए। हो सकता है कि इससे किसी के हितसंबंधों पर आंच आए लेकिन राज्य का हित सर्वोपरि है।
राज्य में आर्थिक अनुशासन लाने और प्रशासनिक खर्च में कटौती करने के लिहाज से विविध महामंडल व शासकीय योजनाएं एक छत के नीचे लाई जाएं और पारस्परिक उद्देश्यों के लिए काम करनेवाले सरकारी कार्यालयों का एकत्रीकरण किया जाए। ऐसा कदम उठाने से न केवल सरकारी खजाने का बोझ कम होगा बल्कि जनता को भी सहूलियत होगी। उसे एक काम के लिए यहां-वहां भटकना नहीं पड़ेगा। हो सकता कि कुछ लोग स्वार्थवश इन कदमों का विरोध करें। नौकरशाही को विश्वास में लेकर कुछ किया जा सकता हैं।
कर्मचारी अनेक वर्षों से पुरानी पेंशन योजना लागू करने, सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार का घुन लगा है और करोड़ों रुपयों की लूट हो रही है जिसे रोकने की जिम्मेदारी महायुति सरकार की है।
मार्च-अप्रैल में स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे। इसलिए उदारता से जनता को आर्थिक मदद देनेवाली सरकार की छवि कायम रखनी होगी। शिकायतें आ रही है कि लाडकी बहीण योजना से ऐसी संपन्न महिलाओं ने भी लाभ उठाया है जिनके यहां बंगला-गाड़ी व मोटा बैंक बैलेंस है। नेता-कार्यकर्ताओं ने वोट के लालच में ऐसे नाम भी डाल दिए। क्या इसकी जांच करके अपात्रों के नाम काटे जाएंगे?
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यद्यपि इस योजना में आय सीमा से लेकर अनेक शर्तें थीं लेकिन विधानसभा चुनाव सामने देखकर सभी का भला कर दिया गया। यदि पड़ताल हुई तो लाखों नाम कट सकते हैं। इससे राज्य के खजाने का बोझ कम होगा। भविष्य में ऐसी योजनाएं लाई जाएं जो रोजगार सृजन में सहायक हो। मुफ्त रकम देने की बजाय प्रशिक्षण व नौकरी देना बेहतर होगा। जिन सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार अधिक है, वहां जांच कर भ्रष्ट तत्वों से छुटकारा पाया जाए।
(लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा)