चिदंबरम के निशाने पर इंदिरा (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: कुछ नेता जब तक सत्तासुख भोगते हैं तब तक उनका मुंह बंद रहता है लेकिन जब सत्ता से वंचित हो जाते हैं तो उसी वृक्ष की जड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने लगते हैं जिसकी छाया में वह पले और बड़े हुए थे।यूपीए सरकार में गृहमंत्री रह चुके पी।चिदंबरम अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह की आलोचना पर उतर आए हैं और उनकी तमाम तरह की गलतियां निकाल रहे हैं।उन्होंने 1984 में अमृतसर के स्वर्णमंदिर में सेना भेजकर आपरेशन ब्लू स्टार करवाने को इंदिरा गांधी की एक बड़ी गलती बताया और कहा कि इसकी कीमत इंदिरा को जान देकर चुकानी पड़ी।
इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई के पीछे सेना, गुप्तचर विभाग और नागरी सुरक्षा अधिकारियों का संयुक्त निर्णय था।इसी तरह चिदंबरम ने 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद सरकार की कमजोर भूमिका पर भी निशाना साधा।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर आए आतंकियों ने मुंबई में सैकड़ों लोगों को निशाना बनाया।तब जनता और कई मंत्रियों की इच्छा थी कि इस आतंक का जवाब पाकिस्तान पर हमला कर दिया जाए लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कदम पीछे हटा लिए।तब भारत-पाक के बीच भारी तनाव था।उस समय अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मैंडोलिसा राइस ने भारत आकर पाकिस्तान पर हमला नहीं करने की सलाह मनमोहन सरकार को दी।
तब कांग्रेस की सर्वेसर्वा व यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने भी यह बात मान ली।चिदंबरम अपनी ही पार्टी के नेताओं की गलतियां क्यों गिना रहे हैं और यह सारी बातें इतने वर्षों बाद कहने का उनका प्रयोजन क्या है? कांग्रेस को 2020 में भी ऐसी ही चुनौती का सामना करना पड़ा था।तब कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद सहित पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे।उन्होंने श्रीनगर में जी-23 के नाम से गुपकार बैठक भी की थी।इन नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से भी पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ा।सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं और गुलाम नबी आजाद राज्यसभा के पूर्व सदस्य बनकर रह गए हैं।
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यह बात अलग है कि कांग्रेस के हाथ से इतने वर्षों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे राज्य निकल गए लेकिन हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में वह सत्ता में है।महाराष्ट्र व झारखंड में वह साझा सरकार में शामिल है।कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसे लंबे समय तक सत्ता में रहने की आदत रही है।जब मोदी और बीजेपी के हाथों में नेतृत्व आया तो कांग्रेस को केंद्र व अनेक राज्यों में सत्ता से वंचित होना पड़ा।इसलिए चिदंबरम जैसे नेता अपनी बौखलाहट दिखा रहे हैं।दूसरी बात यह भी है कि चिदंबरम को यह भी आशंका है कि उनके खिलाफ जांच एजेंसियां व कानूनी मशीनरी सक्रिय हो सकती है।इसलिए वह कांग्रेस नेतृत्व को निशाने पर लेकर बीजेपी को संतुष्ट करने में लगे हैं।दूसरी ओर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि चिदंबरम द्वारा आपरेशन ब्लू स्टार के लिए केवल इंदिरा गांधी को दोष देना ठीक नहीं है।इस कार्रवाई में सेना, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का भी समावेश था।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा