अमेरिका के गन कल्चर का खतरनाक नतीजा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका की विवादित व खतरनाक बंदूक संस्कृति के कारण वहां हर साल सैंकड़ों निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं और मृतकों में मासूम स्कूली बच्चे भी होते हैं, लेकिन मजबूत गन लॉबी के प्रभाव में ऐसे व्यक्तियों की भी कमी नहीं है, जो बंदूक संस्कृति का समर्थन करते हैं और चुनावी वायदे के बावजूद उस पर प्रतिबंध नहीं लगने देते हैं।राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के कट्टर ‘मागा’ समर्थक व उनके लिए फंड एकत्र करने वाले चार्ली कर्क ऐसे ही पुरातनपंथी युवा एक्टिविस्ट थे, जो बंदूक संस्कृति के प्रबल समर्थक थे और अप्रवासन व भारतीयों को वीजा दिये जाने का जबरदस्त विरोध करते थे।
31 वर्षीय कर्क ने ट्रंप की राजनीति की वकालत करने के लिए ‘टर्निंग पॉइंट यूएसए’ संस्था का गठन किया हुआ था।वह 10 सितम्बर को यूट्टाह वैली यूनिवर्सिटी में छात्रों से वार्ता कर रहे थे कि तभी एक गोली उनकी गर्दन में आकर लगी, खून की तेज धार बही और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।कर्क तेजतर्रार वक्ता और ट्रंप के अंदरुनी सर्किल के विश्वसनीय सदस्य थे।अपनी फंड एकत्र करने की क्षमता के लिए विख्यात, मागा एक्टिविस्ट व पॉडकास्ट होस्ट कर्क किसी पद पर न होने के बावजूद राजनीतिक सत्ता का केंद्र थे।ट्रंप ने उनकी मौत को अमेरिका के लिए ‘सबसे काला पल’ बताया है।इसमें कोई दो राय नहीं हैं। कि कर्क दक्षिणपंथी राजनीति के सबसे अधिक प्रभावी नेता थे।उनकी टर्निंग पॉइंट यूएसए संस्था अमेरिका के 3,500 से अधिक कॉलेजों में सक्रिय थी।
वह कॉलेजों में ‘प्रूव मी राँग’ (मुझे गलत साबित करो) डिबेट आयोजित किया करते थे, उनके अंतिम शब्द बंदूक संस्कृति से संबंधित थे।उनसे एक छात्र ने सवाल किया था, ‘क्या आपको मालूम है कि पिछले दस वर्षों के दौरान अमेरिका में कितने मास शूटर्स हुए हैं?’ इसके जवाब में कर्क ने कहा था, ‘गैंग हिंसा को गिनना है या नहीं गिनना है ?’ और तभी उनकी गर्दन में एक गोली आकर लगी।कर्क ने 5 अप्रैल 2023 को कहा था, ‘हर साल बंदूकों से कुछ मौतों का हो जाना ठीक ही है ताकि हम अपने ईश्वर-प्रदत्त अन्य अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए दूसरे संशोधन ( हथियार रखने का अधिकार) को बरकरार रख सकें।
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बंदूक संस्कृति के अतिरिक्त कर्क अप्रवासन के विरुद्ध बहुत कड़ा रुख अपनाते थे।भारतीयों के लिए एच1-बी वीजा का भी विरोध करते थे।कर्क का सीधा सा दृष्टिकोण था- अमेरिका भर चुका है, भारतीयों के लिए कोई जगह नहीं है।उन्होंने कहा था, ‘भारतीयों को अमेरिकी वीजा देने की अब कोई जरूरत नहीं है।अमेरिकी श्रमिकों को जितना अधिक विस्थापित भारतीयों ने किया है, उतना किसी अन्य ने नहीं किया है।अब हमें अपने लोगों को प्राथमिकता देनी होगी.’ ट्रंप प्रशासन भारतीय कम्पनियों को की जाने वाली आउटसोर्सिंग को सीमित करने पर विचार कर रहा है।कर्क जो विचार रखते थे बाद में व्हाइट हाउस उसी के अनुरूप बयान देता या कार्य करता था, जिससे उनके राजनीतिक प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।कर्क मानवीय मूल्यों, अश्वेतों व महिलाओं तक का विरोध करते थे।
लेख -विजय कपूर के द्वारा