जस्टिन ट्रूडो (डिजाइन फोटो)
पिछले 1 वर्ष से भारत और कनाडा के संबंधों में जो निरंतर खटास आ रही थी। उसने दोनों देशों के रिश्तों को टूटने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। कनाडा ने भारत पर बिना किसी सबूत के गंभीर आरोप लगाया है कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में अन्य भारतीय डिप्लोमेट्स के साथ हाई कमिश्नर संजय वर्मा भी ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ (जिस व्यक्ति को पुलिस अपराध में शामिल समझती है) थे। इस आरोप पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ओटावा से अपने हाई कमिश्नर को वापस बुला लिया है।
हालांकि वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा ने संजय वर्मा सहित 6 भारतीय डिप्लोमेट्स को निष्कासित किया है, लेकिन भारत सरकार का स्पष्ट कहना है कि उसने कनाडा से अपने डिप्लोमेट्स को वापस बुलाया है। यही नहीं, दिल्ली में भारत ने कनाडा के चार्ज डी अफेयर्स स्टीवर्ट व्हीलर को समन किया, यह बताने के लिए कि उसने अपने डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है।
साथ ही भारत ने कनाडा के छह डिप्लोमेट्स से कहा है कि वे 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ दें। व्हीलर का कहना है कि कनाडा ने अखंडनीय साक्ष्य प्रदान किये हैं कि भारत सरकार के एजेंट्स कनाडा की धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या करने में शामिल थे। भारत सरकार ने व्हीलर से कहा है कि कनाडा में भारतीय हाई कमिश्नर व अन्य डिप्लोमेट्स तथा अधिकारियों को आधारहीन निशाना बनाया जा रहा है जोकि पूर्णतः अस्वीकार्य है और अतिवाद व हिंसा के वातावरण में ट्रूडो सरकार की हरकतों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
उल्लेखनीय है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के स्वयंभू प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून 2023 को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। निज्जर पृथक खालिस्तान निर्माण का कट्टर समर्थक था और इसके लिए जनमत संग्रह के लिए प्रयास कर रहा था। दिल्ली में आयोजित जी-20 की बैठक के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने इस बात का बचाव किया था कि कनाडा के सिखों को शांतिपूर्वक खालिस्तान की वकालत करने का अधिकार है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा में अतिवादी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की थीं।
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निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं। कनाडा का आरोप है कि जी-20 सम्मेलन में जस्टिन ट्रूडो को अपमानित करने की हद तक अनदेखा किया गया। दिल्ली का दृष्टिकोण यह है कि कनाडा ने रत्ती बराबर भी साक्ष्य उसके साथ शेयर नहीं किये हैं और जांच के बहाने वह जानबूझकर भारत को बदनाम करने की योजना बनाये हुए है। यह ट्रूडो सरकार का राजनीतिक एजेंडा है जोकि वोट बैंक सियासत पर केंद्रित है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस दिशा में अगला कदम भारत के डिप्लोमेट्स को निशाना बनाना होगा।
भारत को विश्वास नहीं है कि कनाडा सरकार भारतीय डिप्लोमेट्स की सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेगी, इसलिए उन्हें वापस बुला लिया गया है। यह बात सही प्रतीत होती है कि ट्रूडो यह सब कुछ वोट बैंक राजनीति के लिए कर रहे हैं। क्योंकि कनाडा में हाउस ऑफ कॉमंस के सदस्य चुनने के लिए फेडरल चुनाव 20 अक्टूबर 2025 को या उससे पहले होंगे। हाल के दिनों में जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता में जबरदस्त कमी आयी है- एक रायशुमारी में 56 प्रतिशत कनाडा के नागरिकों ने कहा कि उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए।
जस्टिन ट्रूडो अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें अपनी सियासी किस्मत बदलने के लिए एक मुद्दा चाहिए। उन्हें लगता है कि निज्जर हत्याकांड वह मुद्दा है। कनाडा की कुल जनसंख्या में सिखों की तादाद भले ही 2।1 प्रतिशत हो, लेकिन इस समुदाय में जो मुट्ठीभर कट्टरपंथी तत्व हैं, उन्होंने कनाडा की राजनीति में अपनी संख्या की तुलना से बहुत अधिक प्रभाव हासिल किया हुआ है।
लेख- नरेंद्र शर्मा द्वारा