(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर अपनी पत्नी विक्टोरिया की वजह से मुसीबत में फंस गए। हुआ यह कि सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के प्रमुख दानदाता वहीद अली ने पीएम की वाइफ को महंगी ड्रेसेज, फैशनेबल चश्मे, रहने की सुविधा आदि उपहार के तौर पर दिए। विक्टोरिया की शॉपिंग का खर्च वहीद ने उठाया। धनवान व्यवसायी व आनलाइन फैशन रिटेलर वहीद द्वारा दी गई इस गिफ्ट का खुलासा कीर स्टार्मर ने नहीं किया। इस तरह उन्होंने संसद के नियमों को भंग किया।’’
हमने कहा, ‘‘इसीलिए ऐसे प्रधानमंत्री भले जिनके पीछे पत्नी और परिवार न हो। न जोरू न जाता, अल्ला मियां से नाता! नेता देश को संभालेगा या वाइफ की अच्छी से अच्छी चीजें पाने की अपरिमित लालसा को पूरा करेगा? नेता की इमेज को बिगाड़ने में पत्नी या बेटों की मनमानी जबाबदार होती है। हमारे देश में कितने ही नेता सिंगल रहे। जवाहरलाल नेहरू और नरसिंहराव विधुर थे। चंद्रशेखर की गांव में रहनेवाली पत्नी कभी सामने नहीं आईं।’’
हमने कहा, ‘‘वीपी सिंह की पत्नी सीतादेवी भी सार्वजनिक जीवन से दूर रहीं। प्रथम राष्ट्रपति डा। राजेंद्र प्रसाद की पत्नी राजवंशीदेवी भी घर-गृहस्थी से बाहर नहीं निकलीं। इंदिरा गांधी भी अकेली थीं। वह फिरोज गांधी से विवाह के बावजूद अपने पापा जवाहरलाल नेहरू के साथ रहती थीं। ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने विवाह तो किया लेकिन पत्नी से दूर रहने लगे। स्वाभिमानी पत्नी ने भी अकेलापन स्वीकार कर लिया।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम समझ रहे हैं कि आपका निशाना किस ओर है। कसूर ब्रिटिश प्रधानमंत्री का नहीं है। लोग रिश्वत देने के लिए नेता की पत्नी या संतान का इस्तेमाल करते हैं। वहीद ने विक्टोरिया को वस्तुएं भेंट कीं। इस वजह से प्रधानमंत्री स्टार्मर के यहां स्टॉर्म या तूफान आ गया।’’
हमने कहा, ‘‘पत्नी की हर इच्छा पूर्ण करना पति का कर्तव्य है। वह अपने पुरुषार्थ से अधिकतम कमाए और पत्नी को लगातार भेंट-उपहार देता रहे। इसी में गृहस्थ जीवन की सफलता है। भगवान राम को मालूम था कि सोने का हिरन नहीं हो सकता फिर भी सीता के कहने पर वह स्वर्णमृग के पीछे दौड़े। सत्यभामा ने स्वर्ग से पारिजात वृक्ष लाने की मांग की तो श्रीकृष्ण इंद्र के नंदनकानन उद्यान से वह वृक्ष द्वारका ले आए। भगवान विष्णु भी अपनी पत्नी लक्ष्मी को प्रसन्न रखने के लिए क्षीरसागर में रहते हैं जो उनका ससुराल है। समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी क्षीरसागर से ही उत्पन्न हुई थीं।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा