नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: अंतरिक्ष विज्ञान की प्रगति जितनी अदभुत है उतना ही विस्मयजनक है भारत की बेटी सुनीता विलियम्स का अदम्य साहस और संकल्प युक्त धैर्य! अपनी प्रचंड इच्छाशक्ति के आधार पर ही 7 दिनों के लिए अंतरिक्ष प्रवास पर गई यह एस्ट्रोनाट महिला 286 दिनों तक वहां रही और पृथ्वी की 4576 परिक्रमा कर डाली।
कल्पनातीत है कि सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर ने 1,21,347,491 मील का सफर तय किया. इन 9 महीनों के दौरान अनिश्चितता व संदेह की घटा छाती रही कि क्या सुनीता सकुशल पृथ्वी पर लौट पाएगी! रह-रहकर कल्पना चावला के साथ हुआ भयानक हादसा दिमाग के किसी कोने में कौंधता था. अंतरिक्ष अभियान निश्चित रूप में कठिन चुनौतियों और जोखिम के बीच तय किए जाते हैं. इनमें चट्टानी मनोबल और जिजीविषा का तत्व अंतरिक्ष यात्रियों को हर विपरीत स्थिति में ऐसी दृढ़ता देता है जिसका कोई सानी नहीं है।
सुनीता विलियम्स पहली महिला एस्ट्रोनाट हैं जिन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर 62 घंटे से अधिक का स्पेसवाक किया. उन्होंने अपने साथी विल्मोर के साथ अनूठे 150 वैज्ञानिक व तकनीकी प्रयोग किए व 900 घंटे उद्देश्यपूर्ण अनुसंधान में बिताए. इनमें पौधों का अंतरिक्ष में विकास, स्टेम सेल तकनीक का समावेश था. आटोइम्यून बीमारियों, कैंसर, रक्त से जुड़े रोगों पर उनका अनुसंधान मील का पत्थर साबित होगा. माइक्रोग्रेविटी, फ्यूल सेल रिएक्टर पर भी प्रयोग किए इसलिए यह कहना सर्वथा गलत होगा कि सुनीता मजबूरी में अंतरिक्ष स्टेशन में फंसी रहीं।
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सर्वशक्तिमान ईश्वर या अलग शक्ति ने उनसे बहुत कुछ सार्थक कर्म करवा लिए. इसरो के चेयरमैन डा. वी. नारायणन ने कहा कि भारत सुनीता विलियम्स की विशेषज्ञता को जानने और इस्तेमाल करने को उत्सुक है. अंतरिक्ष अनुसंधान सपनों को सच में परिवर्तित करने और मानव की शक्तियों के चरम सीमा तक इस्तेमाल करने का उपक्रम है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी सुनीता को ‘आईकान’ मानकर उन्हें बधाई दी और कहा कि भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन बना लेगा और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर अपने कदम रखेगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा