ब्रायन जानसन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: अमेरिका के 47-वर्षीय सॉफ्टवेयर अरबपति ब्रायन जॉनसन जो मौत को मात देने के मिशन पर हैं और फिलहाल भारत में हैं, का सवाल है कि क्या हम ऐसी पहली पीढ़ी हो सकते हैं जिसे मौत नहीं आयेगी? जॉनसन की आयु-पलटने की जो विवादित तकनीक हैं उनमें यह भी शामिल है कि उन्होंने अपने किशोर बेटे का रक्त खुद को चढ़वाया है।
जॉनसन का दावा है कि उनका दिल 37-वर्षीय व्यक्ति वाला है और उनकी त्वचा 28-वर्षीय व्यक्ति जैसी है। जॉनसन अपने ‘मरना मत’ समुदाय का विस्तार करने के लिए मुंबई व बंगलुरु के दौरे पर हैं। दुनियाभर में जन्म दर निरंतर गिर रहा है और स्वस्थ लम्बे जीवन (केवल लम्बे जीवन की नहीं) से संबंधित शोध की धूम मची हुई है।
अगर स्वस्थ लम्बी आयु से संबंधित शोध सुरक्षित, सरल व सस्ते समाधान उपलब्ध करा देते हैं, जिनके बारे में जॉनसन जैसे आशावादियों का कहना है कि एआई की मदद से ऐसा संभव हो जायेगा, लेकिन तब भी बहुत बड़ा ‘अगर’ है, तो बूढ़े होते समाज की कुछ समस्याओं को संबोधित किया जा सकेगा।
बुज़ुर्ग, शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ लोग लम्बे समय तक काम कर सकेंगे (विभिन्न देशों की अनेक कम्पनियों में तो 65 वर्ष नया 60 साल हो भी गया है)। अगर एआई उत्पादन चमत्कार कर देता है, जैसा कि उसके समर्थकों का विश्वास है, तो वह बुजुर्ग श्रमिकों के साथ मिलकर कम, युवा श्रमिकों और अत्यधिक पेंशन के बोझ की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
एक 80-साल के सेहतमंद बुजुर्ग को महंगे उपचार की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन इसी आयु के बीमार बुजुर्ग की दवाओं का खर्च जेबों को खाली कर देता है। सांस्कृतिक दृष्टि से स्वस्थ लम्बा जीवन दूसरे विश्व युद्ध के बाद युवाओं का जश्न मनाने की सहमति को चुनौती दे सकता है। बाजार भी अपनी पूंजी स्वस्थ, उत्पादक बुजुर्गों पर लगाने के लिए तैयार हो जायेगा।
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जॉनसन का ‘मरना मत’ या लम्बी आयु का फार्मूला यह है कि वह बिना अलार्म के सुबह 5 बजे उठते हैं। दिन भर की विभिन्न थेरपी की ‘सुरक्षा व प्रभावकरिता चेक’ के लिए अंदरूनी कान का तापमान थर्मल स्कैन डिवाइस से मापते हैं। अपनी सर्केडियन रिद्म को सेट करने के लिए सूरज की जगह 10,000 लक्स थर्मल लैंप लाइट एक्सपोजर के लिए प्रयोग करते हैं। अपने सारे भोजन सुबह 6 से सुबह 11 बजे तक कर लेते हैं, जिसमें 1,977 कैलोरीज और आयरन व विटामिन सी सहित 100 से अधिक सपप्लिमेंट होते हैं।
अपना वजन, बीएमआई, फैट, विसेरल फैट, मसल, वाटर, बोन व हार्ट रेट चेक करते हैं और अपने क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता भी। अपना रंग साफ रखने के लिए 5 मिनट तक ब्लू लाइट थेरपी लेते हैं और 10 मिनट तक ध्यान लगाते हैं। अपनी नाक पर एक डिवाइस लगाते हैं ताकि आंसू आएं और आंखें सूखी न रहें। बालों को गिरने से रोकने के लिए रेड लाइट कैप ओढ़ते हैं।
30-60 मिनट का वर्कआउट करते हैं। 30 मिनट का हार्ट रेट वैरिबिलिटी थेरपी सेशन करते हैं, जिसमें एक विशिष्ट डिवाइस से हार्टबीट, तनाव का स्तर और दिल की सेहत को मापा जाता है। वह अपने तापमान-नियंत्रित बिस्तर में रात 8।30 पर प्रवेश करते हैं और ‘3 मिनट में’ सो जाते हैं। जॉनसन की बूढ़े होने की वर्तमान रफ्तार 0।69 है, जिसका अर्थ है कि हर 365 दिनों में जॉनसन की आयु 251 दिन ही बढ़ती है।
जॉनसन जो कर रहे हैं वह रईसों के चोंचले अवश्य हैं, शायद इससे उनकी आयु भी लम्बी हो जाए, लेकिन क्या वह या कोई अन्य मौत को मात दे सकेगा? सच यह है कि हम फूलों की तरह खिलते और फिर मुरझाकर मर जाते हैं। जीवन का यही सच है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं आने जा रहा है। प्रकृति का संतुलन बनाये रखने का अपना नियम है।
इस नियम से छेड़छाड़ का नतीजा ही है कि जन्म दर में गिरावट समस्या बन गई है। बायो सिस्टम्स को बर्बाद करने के बाद इंसान जो अब परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है उससे अनेक सवाल उठते हैं। बुजुर्गों व स्वस्थ लोगों के एनर्जी कंजम्पशन के क्या प्रभाव होंगे? क्या पृथ्वी ग्रह स्वस्थ मानव की लम्बी आयु को बर्दाश्त कर सकेगा? शायद इस क़िस्म के प्रश्नों के उत्तर मिल भी जायें, लेकिन पहले हमें सवाल तो करने ही होंगे।
लेख- डॉ. अनिता राठौर द्वारा