(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शिक्षकों से उम्मीद की जाती है कि वो बच्चों को पढ़ाते समय नैतिकता का ध्यान रखें और दुर्व्यसनों का उल्लेख न करें। बच्चों के कोमल मन पर अच्छे संस्कार डालने की जिम्मेदारी शिक्षक की होती है। बिहार के मोतिहारी जिले में जमुआत मिडल स्कूल की चौथी कक्षा में विनीता कुमारी नामक शिक्षिका ने हिंदी के मुहावरों का अर्थ समझाने के लिए शराब और शराबियों से संबंधित उदाहरण दिए। विनीता कुमारी ने कहा कि हाथ-पांव फूलने का मतलब समय पर दारू का नहीं मिलना।”
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘विनीता कुमारी ने कहा कलेजा ठंडा होने का अर्थ पैग गले के नीचे उतरना और नेकी कर दरिया में डाल का मतलब दोस्तों को फ्री में दारू पिलाना। इस तरह की बेतुकी व्याख्या करने वाली शिक्षिका से शिक्षाधिकारी ने स्पष्टीकरण मांगा। इस पर शिक्षिका ने फोन पर माफी मांगी। मुख्याध्यापिका ने भी टीचर के इस तरह पढ़ाने पर दुख व्यक्त किया और कहा कि जांच कर शिक्षिका के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।’’
हमने कहा, ‘‘हो सकता है कि उस शिक्षिका के पति, ससुर या देवर शराबी होंगे। उन पियक्कड़ों का हाल देखकर उसने उनकी हरकतों को मुहावरों से जोड दिया। इसे साहित्यिक भाषा में ‘भोगा हुआ यथार्थ’ कहते हैं। जो प्रत्यक्ष देखा वैसा ही समझा दिया। वैसे यह सारे उदाहरण सत्य हैं। पियक्कड़ को टाइम पर दारू न मिले तो छटपटाने लग जाता है। उसकी बॉडी को उसकी आदत लग जाती है। पैग गले से नीचे उतरने पर उसे तसल्ली होती है अर्थात कलेजे को ठंडक मिलती है। दोस्तों को मुफ्त में शराब पिलाने से कुछ भी हासिल नहीं होता। इसलिए यह नेकी कर दरिया में डाल वाला मामला है।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, शिक्षा का उद्देश्य ऊंचे जीवन मूल्यों और आदर्शों को सिखाना होता है। शिक्षिका विनीता कुमारी को विनीत रहकर अच्छे उदाहरण देना चाहिए थे जैसे कि भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम को देखकर पाकिस्तानी हमलावरों के हाथ-पांव फूल गए। जब भीम ने दुशा:सन का वध किया तब द्रौपदी के कलेजे को ठंडक मिली। गुप्तदान करने का मतलब है, दान का श्रेय नहीं लेना। इसे कहते हैं- नेकी कर दरिया में डाल!’’
हमने कहा, ‘‘आपने मुहावरों का बिल्कुल सही अर्थ बताया। अब आप बिहार जाकर उस शिक्षिका को ट्रेनिंग दीजिए कि विद्यार्थियों को उचित तरीके से कैसे पढ़ाना चाहिए। बिहार में कानूनी तौर पर मद्यनिषेध लागू है इसलिए ऐसे उदाहरण नहीं देने चाहिए। गलत शिक्षा मिली तो विद्यार्थी क्लास में गाने लगेंगे- मय से मिले ना साकी से, ना पैमाने से, दिल बहलता है मेरा आपके आ जाने से!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा