लोग सोच सकते हैं कि गन्ने के रस से इथेनॉल (Ethanol) बनाने पर केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से रोक क्यों लगा दी जबकि पेट्रोल में इथेनाल लगभग 12 प्रतिशत मिलाया जाता है. इससे पेट्रोलियम की बचत होती है और पर्यावरण सुरक्षा भी होती है. सरकार ने सोच समझकर ही यह कदम उठाया है. केंद्र ने राज्यसभा को बताया कि भारत में वर्तमान इथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,364 करोड़ लीटर है जो फ्यूल ब्लेंडिंग (इंधन में मिलाने) का टारगेट पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इथेनॉल बनाने पर रोक से शक्कर मिलों और डिस्टलरीज को बड़ा झटका लगा है क्योंकि इन कंपनियों की 80 प्रतिशत कमाई सिर्फ इथेनॉल की बिक्री से होती है.
बी-हैवी शीरे से इथेनॉल बनाकर पेट्रोल में मिलाया जाता है. केंद्र के इस फैसले से महाराष्ट्र की शुगर लॉबी को आघात पहुंचना स्वाभाविक है जिसकी अनेक दशकों से राजनीति में मजबूत पकड़ रही है. महाराष्ट्र के अलावा यूपी में भी चीनी मिले हैं सरकार के इस फैसले के बाद शुगर कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिली. बलरामपुर चीनी मिल्स का शेयर 6.7 फीसदी टूट गया. श्री रेणुका शुगर्स के शेयर में 4.16 फीसदी और मवाना शुगर्स में 2.94 फीसदी की गिरावट आई.
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने देश की सभी शक्कर मिलों को नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि ईएसवाई (इथेनॉल सप्लाई ईयर) 2023-24 में गन्ने के जूस और सिरप से अब इथेनॉल नहीं बनेगा हालांकि ऑइल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से मिले वर्तमान ऑर्डर की सप्लाई के लिए बी मोलासेस से इथेनॉल का प्रोडक्शन जारी रहेगा. 31 अक्टूबर 2024 तक इथेनॉल के लिए 339 करोड़ के ऑर्डर मिले. 4 दिसंबर को इथेनॉल सप्लाई करने के लिए ओएमसी से 572 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिले. अब सरकार शक्कर मिलों की बजाय अनाज या अन्य कंपनियों से इथेनॉल बनाने और सप्लाई करने को कह सकती है.
यदि इथेनॉल नहीं बनाने पर शक्कर का उत्पादन बढ़ेगा और उसकी कीमतें घटेंगी. इससे शुगर कंपनियों को घाटा होगा. इसके अलावा दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद से रॉ शुगर की कीमतें 7 प्रतिशत तक घटी हैं. जब तक यूपीए सरकार में शरद पवार कृषि मंत्री थे तब तक वे इथेनाल बनाने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि तब पेट्रोल का भाव भी कम था और पवार का दावा था कि गन्ने की इतनी पैदावार भी नहीं होती कि शक्कर के अलावा इथेनॉल बनाया जाए.
मोदी सरकार के दौरान पेट्रोल को सीसा रहित करने और इथेनॉल ब्लेंडिंग की शुरूआत हुई. ईंधन के मानकों में भी सुधार हुआ. इसके पीछे प्रदूषण की रोकथाम का भी उद्देश्य था. वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल और 2022-23 के दौरान 12 फीसदी इथेनॉल के ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल हुआ. गन्ने के अलावा अनाज और बांस से भी इथेनॉल बनाया जा सकता है.