प्रवासी भारतीयों की कमाई पर ट्रंप की तिरछी नजर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, उनका हर कदम किसी न किसी देश, किसी न किसी कम्युनिटी और किसी न किसी कॉरपोरेट क्षेत्र पर कहर बनकर टूट रहा है। उनके हाल ही में साइन किए गए एक और बिल, ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ में एक ऐसा प्रावधान मौजूद है, जिसकी सबसे बड़ी मार प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगी। अमेरिका प्रवासी भारतीयों की जेब से अरबों डॉलर निकाल लेगा। दरअसल अमेरिका ग्रीन कार्ड धारकों और एच-1बी वीजा जैसे अस्थाई वीजा कर्मचारियों से लेकर सभी विदेशी कर्मचारियों के उनके अपने देश में भेजे जाने वाले पैसे पर 3.5 फीसदी टैक्स लगाने जा रहा है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं। भारतीय न केवल अमेरिका में बाकी समुदायों के मुकाबले ज्यादा बेहतर कमाते हैं, बल्कि अपने देश में रह रहे माता-पिता और परिवार को कहीं ज्यादा पैसे भेजते हैं। इसलिए ट्रंप के टैक्स का सबसे बड़ा शिकार भारतीय ही होंगे। इस कैटेगिरी में जिन और देशों के प्रवासी शिकार होंगे, उनमें मैक्सिको, चीन, फिलीपींस, फ्रांस, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं।
अगर आरबीआई के आंकड़ों के हिसाब से बात करें, तो 2023 में अमेरिका में रहने वाले भारतीयों ने भारत में रह रहे अपने परिवारों को करीब 119 अरब डॉलर भेजे थे। ये राशि प्रवासियों द्वारा अपने घरों को भेजी जाती है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जमा होने वाली ये विदेशी मुद्रा भारत के फॉरेन रिजर्व रेशियो का एक बड़ा हिस्सा बनती है और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। अमेरिका में रह रहे भारतीय जितना पैसा भेजते हैं, उससे भारत सरकार अपने कम से कम दो से तीन महीने के आयात बिल अदा करती है। इसलिए अमेरिका से प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले ये पैसे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीय भारत में रहने वाले अपने माता-पिता की दवाओं, परिजनों की पढ़ाई, घर खरीदने, कर्जा अदा करने और बहुत से दूसरे मदों के लिए पैसा भेजा जाता है। लेकिन ट्रंप की नजर इन प्रवासी भारतीयों के पैसे पर टिकी है और वे टैक्स के जरिए इसका एक बड़ा हिस्सा छीनना चाहते हैं।
विदेशों से भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा भेजा जाता है। इसे रेमिटेंस कहते हैं। क्योंकि दुनियाभर में भारतीय लगभग ढाई करोड़ से ज्यादा फैले हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर भारत को अपने इन नागरिकों से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। पिछले लगभग 17 18 वर्षों से भारत विदेश से पैसा पाने वाले देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर बना हुआ है। आज दुनियाभर के सर्विस सेक्टर पर भारतीय हावी हैं। पूरी दुनिया के सर्विस सेक्टर में करीब 13 फीसदी भारतीय हैं, जिनके 2030 तक बढ़कर 17 से 18 फीसदी हो जाने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2029-30 में प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत को 160 से 170 अरब डॉलर तक रेमिटेंस भेजा जाएगा।
आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है, फिर भी इस अर्थव्यवस्था में 3 फीसदी हिस्सा इन प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले पैसों का है। इसलिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी भारतीयों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए, तो अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की आबादी पिछली सदी के 90 के दशक से लगातार बढ़ी है और अमेरिका के सभी राष्ट्रपति, अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र में खासकर कंप्यूटर के क्षेत्र में काम कर रहे भारतीयों की तारीफ करते रहे हैं। जॉर्ज बुश जूनियर से लेकर ओबामा तक भारतीयों को अपनी अर्थव्यवस्था में और अधिक योगदान देने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे हैं। मगर ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो भारतीयों से बड़े पैमाने पर चंदा तो लेते हैं, लेकिन उन्हें अमेरिका में कमाई करने वाले भारतीय फूटी आंख नहीं सुहाते। उन्हें लगता है कि भारतीय यहां से कमाकर अपने देश को भर रहे हैं।
अगर अमेरिका से 100 अरब डॉलर भारतीय प्रवासी अपने देश भेजते हैं, तो एक हजार अरब डॉलर वे अमेरिका की संपत्ति में इजाफा भी करते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप को उनकी कमाई पर सेंध लगाने का षड़यंत्र सूझ रहा है। 78 फीसदी भारतीय प्रवासी मैनेजमेंट, साइंस, बिजनेस और आर्ट जैसे उच्च आय क्षेत्रों में काम करते हैं। भारत के जिन राज्यों में विदेशों से सबसे ज्यादा पैसा आता है, उनमें पहले नंबर पर महाराष्ट्र, दूसरे नंबर पर केरल और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु है। अगर यह कानून सख्ती से लागू हुआ, तो उन प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। क्योंकि जो पैसा यहां रह रहे परिवारों के पास आता है, वह अंततः खर्च तो यहीं होता है। प्रवासियों पर नकेल कसकर ट्रंप सिर्फ अपनी तिजोरी ही नहीं भर रहे, भारत जैसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिशें कर रहे हैं।
लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा