आज का संपादकीय (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पहले ही काफी चुनौतियों से जूझ रही है. 11 वर्षों से वह केंद्र की सत्ता से दूर है तथा गिने-चुने राज्यों में उसकी सरकार रह गई है. लोकसभा में वह 99 के आंकड़े पर जैसे-तैसे पहुंची. राहुल गांधी को 2024 में विपक्ष के नेता का अधिकृत पद मिला जबकि 2014 और 2019 में वह उससे वंचित रह गए थे. इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस के कमजोर हो जाने से प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के लिए कोई सबल चुनौती ही नहीं रह गई. विपक्षी गठबंधन इंडिया में भी विभिन्न पार्टियों के नेता अपनी ढपली अपना राग बजा रहे हैं. ममता, लालू या केजरीवाल की ओर से कांग्रेस को कोई तरजीह नहीं दी जाती।
राहुल के पास ले-देकर अदाणी वाला मुद्दा बचता है जिसे बार-बार उछालने पर भी मोदी सरकार का कुछ नहीं बिगड़ा. कांग्रेस की ऐसी हालत में उसके कुछ नेता बेतुकी बयानबाजी कर पार्टी की छवि को और भी बिगाड़ देते हैं. कांग्रेस के विदेश विभाग प्रमुख सैम पित्रौदा का विचित्र बयान कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गया है. उन्होंने कहा कि चीन कोई दुश्मन देश नहीं है. उसकी ओर से खतरे को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है. मुझे नहीं पता कि चीन से क्या खतरा है. अब समय आ गया है कि हम इस पड़ोसी देश को पहचानें और उनका सम्मान करें. पित्रौदा का यह बयान अवांछित और मूर्खतापूर्ण ही कहा जाएगा।
दुनिया जानती है कि चीन दगाबाज, अहंकारी, अलोकतांत्रिक और विस्तारवादी देश है जिसका भारत ही नहीं बल्कि रूस और मंगोलिया से भी सीमा विवाद है. उसने पहले तिब्बत हड़पा और फिर पंचशील समझौते को कुचलते हुए 1962 में भारत पर हमला किया. लद्दाख में उसने घुसपैठ की है तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश को वह अपना भूभाग बताता है. गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. भारत की 22,000 वर्ग मील जमीन और हमारा पवित्र तीर्थ कैलाश मानसरोवर चीन के कब्जे में है. उसने अरुणाचल के जिलों के चीनी नाम भी रख दिए हैं. कश्मीर मुद्दे पर वह हमेशा पाकिस्तान का साथ देता आया है. सैम पित्रोदा या तो इन बातों से अनभिज्ञ हैं अथवा जान-बूझकर चीन की तरफदारी कर रहे हैं।
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क्या उन्हें नहीं पता कि चीन ने पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव को कर्ज के जाल में फंसाकर उनकी दुर्गति की और उन्हें भारत को घेरने की कोशिश की. श्रीलंका के बंदरगाह पर टोही जहाज खड़ा कर उसने भारत के संवेदनशील ठिकानों की जासूसी की. चीन के खतरे को देखते हुए ही भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने ‘क्वाड’ संगठन बनाया. पित्रोदा के विवादास्पद बयान से पल्ला झाड़ते हुए कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी कि यह उनके निजी विचार हैं. इसके पहले भी पित्रोदा ने 1984 के सिख विरोधी दंगे, मुंबई पर आतंकी हमले पर बेतुके बयान दिए थे. अमेरिका के समान इनहेरिटेंस टैक्स लगाने और दिवंगत व्यक्ति की 50 प्रतिशत संपत्ति जब्त करने जैसे उनके बयान से भी कांग्रेस की फजीहत हुई थी।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा