यम द्वितीया की कथा और परंपरा (सौ. सोशल मीडिया)
Bhai Dooj 2025: दीपोत्सव के पांचवें और आखिरी दिन भैया दूज मनाया जाएगा। इस पर्व को यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, दीपावली के समापन पर मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम और धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है और इस साल 23 अक्टूबर को पड़ रहा है। भैया दूज, रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भाई को बहन के घर भोजन करना जरूरी होता है। इसे लेकर मान्यता होती है।
मथुरा के विश्राम घाट से जुड़ी एक प्राचीन मान्यता के अनुसार, यदि बहन इस दिन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है, तो भाई की अकाल मृत्यु नहीं होती। यह धार्मिक विश्वास भाई की दीर्घायु और सुरक्षा की कामना से जुड़ा है, जो इस पर्व को और भी पवित्र बना देता है।
पद्मपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी विवाहिता बहनों को वस्त्रों और आभूषणों से सम्मानित करता है, उसे शत्रुओं का भय नहीं रहता। यह कृत्य न केवल प्रेम और सम्मान का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी कल्याणकारी माना गया है।
भविष्य पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, यमुना ने अपने भाई यमराज को इस दिन अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया था। तभी से यह दिन यम द्वितीया के रूप में प्रसिद्ध हो गया। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भाई को अपनी बहन के घर भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति यम की यातनाओं से मुक्त होता है और दीर्घायु प्राप्त करता है।
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इस दिन बहनों को वस्त्र, वलय, आहार-सत्कार और उपहार देना शुभ माना जाता है। यदि किसी की सगी बहन न हो, तो चाचा, मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को मानकर यह परंपरा निभाई जा सकती है। यह पर्व सामाजिक समरसता और पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करने का माध्यम भी है।
भ्रातृ द्वितीया एक स्वतंत्र उत्सव होते हुए भी दीपावली के साथ जुड़ गया है, जिससे इसमें उल्लास और श्रद्धा का रंग भर गया है। भाई-बहन इस दिन मिलते हैं, बचपन की यादें ताज़ा करते हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनते हैं। यह पर्व न केवल भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक आस्था और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है।