श्री कृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग (सौ. सोशल मीडिया)
Govardhan Puja 2025: देशभर में इन दिनों दीपोत्सव का दौर चल रहा है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। वहीं पर पूजा में 56 तरह के भोग भी लगाए जाते है। गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का महत्व भी होता है। आपने कभी सोचा है आखिर पूजा में 56 तरह के भोग क्यों लगाए जाते है। चलिए जानते है इसके बारे में।
हिंदू पंचाग के अनुसार गोवर्धन पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त बताया गया है। इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर गोवर्धन पूजा की जाएगी तो वहीं पर इसका समापन 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगा। यानि की तिथि के अनुसार 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। गोवर्धन पूजा के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा, जोकि 08 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. वहीं दूसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा. ये शाम 05 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
यहां पर बात करें तो, यहां पर गोवर्धन पूजा पर छप्पन प्रकार के पकवान का महत्व होता है। छप्पन तरह के अलग-अलग पकवान भगवान श्रीकृष्ण को भक्ति औऱ प्रेम के साथ अर्पित किए जाते है। छप्पन ही भोग क्यों लगाते है इसका भी एक धार्मिक आधार मिलता है। कहा जाता है कि देवराज इंद्र द्वारा प्रलयकारी वर्षा करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने जब गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब सात दिन तक उन्होंने कुछ नहीं खाया. उन्होंने बिना कुछ खाए सात दिनों तक ब्रजवासियों और गायों की रक्षा की। बताया जाता है कि, सात दिन × 8 पहर = 56 पहर होता है। इसके अनुसार,गोपियों ने जब भगवान को भोजन कराया, तो छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाकर उनके प्रति प्रेम और आभार प्रकट किया। इसके बाद से गोवर्धन पूजा पर 56 तरह के भोग अर्पित किए जाते है।
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गोवर्धन पूजा में 56 तरह के व्यंजनों का भोग लगाना जहां पर जरूरी होता है वहीं पर इन व्यंजनों के पीछे सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि धार्मिक विधान छिपा दिखता है। अनाज और दालें, धरती के मुख्य भोजन में होती है वहीं पर मिठाइयां आनंद और खुशियों का प्रतीक बताई जाती हैं। नमकीन और खट्टे पकवानों में जीवन की विविधता और विपरीत अनुभवों को स्वीकार करने का संदेश छिपा है। इसके अलावा जो फल और मेवे प्रकृति की भेंट माने जाते हैं वहीं पर दूध, दही और घी ब्रज की आत्मा है. इन सबको भगवान को चढ़ाया जाता है। इन सभी भोग का भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ाव होता है।