शिव की नगरी काशी गंगा जल(सौ.सोशल मीडिया )
Kashi Gangajal Fact: हिन्दू धर्म में कोई भी पूजा पाठ, यज्ञ हवन और मांगलिक कार्य बिना गंगा जल के पूरा नहीं होता है। यही वजह है कि लोग तीर्थ स्थलों पर जाते है तो वहां से गंगा जल जरूर घर लाते है। लेकिन एक ऐसी जगह है जहां से गंगा जल लाने से आप जाने अनजाने में पाप की भागीदार बन सकते है। वो जगह और कोई नहीं बल्कि काशी यानी बनारस है।
आपको बता दें, शिव की नगरी काशी (वाराणसी) में देश-दुनिया से लाखों लोग गंगा में स्नान कर भगवान विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। इतनी पवित्र स्थान होने के चलते यहां के गंगाजल को घर ले जाने की मनाही है। काशी का गंगाजल पवित्र होने के बावजूद मोक्ष, तर्पण और आत्मा की शांति से जुड़ा होता है, इसलिए इसे घर लाने की परंपरा नहीं है। यह केवल धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है, न कि रोजमर्रा की पूजा-पाठ में। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
जल में श्मशान की ऊर्जा होने की मान्यता
काशी में गंगा किनारे मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट हैं, जहां दिन-रात अंतिम संस्कार होते रहते हैं। मान्यता है कि काशी का गंगाजल इन घाटों से भी प्रवाहित होता है और इसमें उन आत्माओं की ऊर्जा होती है जो मोक्ष प्राप्त करने की प्रक्रिया में होती हैं। इसे घर लाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है और परिवार में अशांति आ सकती है।
काशी को कहा जाता है मोक्षभूमि
आपको बता दें, काशी को मोक्षभूमि कहा जाता है, यानी यहां पर गंगा स्नान और मृत्यु के बाद मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान का जल मुख्य रूप से अंतिम संस्कार और पितरों की शांति के लिए उपयुक्त है, न कि घर में रखने के लिए।
कई लोग इस जल का उपयोग श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए करते हैं, इसलिए इसे घर लाना शुभ नहीं माना जाता।
ये है साइंटिफिक कारण
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो शिव की नगरी काशी में हर दिन असंख्य लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके बाद उनके अवशेष गंगा में विसर्जित कर दिए जाते है।
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यूं तो गंगाजल शुद्ध होता है लेकिन अपने जल की सफाई में उसे है। काशी के पानी में कई तरह के कीटाणु होते हैं जो हमारे हेल्थ के लिए अच्छे नहीं होते है। ऐसे में घर जाना खतरनाक हो सकता है। इस कारण भी काशी के जल को वहां से अपने घर नहीं लाना चाहिए।