
भद्रकाली जयंती (सौ.सोशल मीडिया)
मां भद्रकाली को समर्पित भद्रकाली जयंती हर साल ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। इस बार यह जयंती 23 मई को भारत सहित दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, बंगाल और उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाई जा रही है।
आपको बता दें, भद्रकाली जयंती का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। दरअसल, यह दिन माँ काली के शांत, करुणामयी, और रक्षक स्वरूप ‘भद्रकाली’ के प्राकट्य की स्मृति में मनाया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी भद्रकाली का जन्म भगवान शिव के क्रोध से हुआ था, जब माता सती ने यज्ञ में अपने प्राण त्यागे। इसलिए, मां भद्रकाली का प्राकट्य धरती पर धर्म की स्थापना, अधर्म के विनाश और भक्तों की रक्षा हेतु हुआ।
वास्तव में, देवी का यह रूप भय, नकारात्मक ऊर्जा, और असुरी शक्तियों के विरुद्ध अडिग सुरक्षा का प्रतीक है। अंततः, उनका स्मरण करने मात्र से व्यक्ति के भीतर साहस, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।आइए जानते हैं माँ भद्रकाली जयंती की मूल तिथि, पूजा मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि इत्यादि के बारे में।
23 मई 2025, शुक्रवार एकादशी तिथि आरंभ: 01:12 सुबह , 23 मई 2025
एकादशी तिथि समाप्त: रात्रि 10:30 बजे, 23 मई 2025
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:04 बजे से प्रातः 04:45 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक
अमृत काल: सुबह 11:35 बजे से दोपहर 01:04 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 04:02 बजे से सुबह 05:26 बजे तक, 24 मई
अमृत सिद्धि योग: 04:02 PM से 05:26 AM, 24 मई तक
निशिता मुहूर्त: रात 11:57 बजे से 12:38 बजे तक, 24 मई
मां भद्रकाली की पूजा करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें। इसके बाद पूरे घर की अच्छे से सफाई करें। इस अनुष्ठान में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके बाद देवी भद्रकाली का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
अब एक स्वच्छ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर माँ भद्रकाली की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा को गंगाजल से प्रतीकात्मक स्नान कराएं। देवी के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें। निम्न मंत्र का जाप करें।
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ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
अब देवी के मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन, अक्षत चढाएं. पुष्पहार पहनायें। प्रसाद में मिठाई और ताजे फल अर्पित करें। अनामिका उंगली से देवी को चंदन, कुमकुम एवं अक्षत का तिलक लगाएं। देवी की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें। अगले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का पारण करें।
भद्रकाली जयंती पर माता काली की पूजा करने पर दुखों का नाश होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। वैसे तो एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन ज्येष्ठ की अपरा एकादशी के दिन मां भद्रकाली का भी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि मां भद्रकाली की पूजा करने से तमाम रोग, दोष, शोक खत्म हो जाते हैं।






