
जगन्नाथ रथ यात्रा (सौ.सोशल मीडिया)
जगन्नाथ रथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक है। पुराणों में जगन्नाथ धाम की बड़ी महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है और पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है। यह हिंदू धर्म के पवित्र चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी में से एक है।
आपको बता दें, इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत इस बार 27 जून से होने जा रही है और इसका समापन 5 जुलाई को होगा। भगवान जगन्नाथ का पुरी, उड़ीसा में स्थित मंदिर अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। मंदिर का इतिहास, यहां की मूर्तियां और मंदिर का ध्वज और भगवान का हर साल 15 दिनों के लिए बीमार हो जाना। जी हां एक से बढ़कर एक चमत्कार हैं।
इस मंदिर को लेकर तमाम रहस्य और कहानियां जुड़ी हैं। इन्हीं में से एक है यहां की चमत्कारिक मूर्तियां। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की इन मूर्तियों में आज भी वासुदेव यानी कि भगवान कृष्ण का दिल धड़कता है। हजारों साल पहले भगवान कृष्ण शरीर का परित्याग कर चुके थे, परंतु उनका दिल आज भी सुरक्षित है और जगन्नाथजी की मूर्तियों में धड़क रहा है। आइए जानते हैं भगवान जगन्नाथजी की मूर्तियों का रहस्य।
आपको बता दें, इस मंदिर को लेकर तमाम रहस्य और कहानियां जुड़ी हैं। पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में मालवा के राजा इंद्रद्युम्न को एक रात स्वप्न आया। सपने में श्रीकृष्ण ने आदेश दिया कि उनकी मूर्ति नीम की लकड़ी से बनाई जाए। इस आदेश के बाद ही राजा ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
इस मंदिर में विराजमान मूर्तियां साधारण पत्थर या धातु से नहीं बनीं, बल्कि विशेष नीम के वृक्ष से तैयार की गई हैं। यह परंपरा आज भी निभाई जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर अपना शरीर त्यागा था, तो उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनके शरीर के सारे अंग पंचतत्व में विलीन हो गए, लेकिन उनका दिल नष्ट नहीं हुआ। यह भी माना जाता है कि यही हृदय आज भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर सुरक्षित है और आज भी धड़कता है।
जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में मूर्तियों का नवीनीकरण किया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘नवकलेवर’ कहा जाता है। इस दौरान पुरानी मूर्तियों से एक रहस्यमय ‘ब्रह्म पदार्थ’ निकाला जाता है और उसे नई मूर्तियों में
नीम करोली बाबा को कंबल अर्पित करते हुए उनसे क्या करें निवेदन, मनोकामनाएं होंगी पूरी
पुजारियों के अनुसार, इसे हाथ में लेने पर ऐसा महसूस होता है जैसे कोई उछलता हुआ जीव उनकी हथेलियों पर दौड़ रहा हो। इस ब्रह्म तत्व को कोई देख नहीं सकता। अगर कोई इसे देखने की कोशिश करता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है, या आंखों की रोशनी चली जाती है। यही वजह है कि इसे स्थानांतरित करते समय पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर विशेष विधि से यह कार्य संपन्न करते हैं।
भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में सबसे खास बात उनकी विशाल आंखें हैं। मान्यता है कि जब राजा इंद्रद्युम्न भगवान के दर्शन के लिए आए तो उनकी भक्ति देखकर भगवान इतने प्रसन्न हुए कि आश्चर्य और करुणा से उनकी आंखें फैल गईं। यही वजह है कि आज भी उनकी मूर्तियों की आंखें सामान्य से कई गुना बड़ी दिखाई देती हैं।
आपको बता दें, जगन्नाथ मंदिर का सिंह द्वार भी रहस्य से भरा हुआ है। मंदिर के बाहर खड़े होने पर समुद्र की लहरों की आवाज कानों में गूंजती है, लेकिन जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करते हैं, यह आवाज अचानक गायब हो जाती है। यह एक ऐसा रहस्य है, जिसे विज्ञान भी आज तक पूरी तरह समझ नहीं पाया।






