स्कंद षष्ठी का व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Skand Shashthi 2025: हिन्दू धर्म में कई व्रत त्योहार मनाए जाते है। इन्हीं में से एक स्कंद षष्ठी का पर्व भी। जो भगवान गणेश के बड़े भाई भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, इस बार यह पर्व 28 अगस्त, गुरुवार को रखा जाएगा। वहीं, पूजन का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त सर्वोत्तम माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से संतान के जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर होती हैं और उन्हें सुख-शांति मिलती है। विशेष रूप से दक्षिण भारत में इस पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते है कब भादो महीने में मनाई जाएगी स्कंद षष्ठी का व्रत और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 28 अगस्त को शाम 05 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस तिथि का समापन 29 अगस्त दिन शुक्रवार को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।
उदया तिथि के आधार पर स्कंद षष्ठी व्रत 28 अगस्त को रखा जाएगा। वहीं पूजन का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त सर्वोत्तम माना गया है।
व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
घर में या मंदिर में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करें।
दीपक जलाकर धूप, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।
लाल या पीले फूल और बेलपत्र चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है।
”ॐ कार्तिकेयाय नमः” मंत्र का जाप करें।
दिनभर व्रत रखने के बाद संध्या समय कथा और आरती करें। व्रत का पारण अगले दिन सुबह स्नान व पूजा कर फलाहार से करें।
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भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। स्कंद षष्ठी के दिन व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को रखने पर मान्यतानुसार अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को रखने पर आध्यात्मिक शांति मिलती है। साथ ही, जीवन में समृद्धि और सफलता आती है।
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।