कालाष्टमी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी का पर्व खास महत्व रखता है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पावन तिथि कल 18 जून दिन बुधवार को रखा जाएगा।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, जून माह की कालाष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, 18 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 34 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 19 जून को दोपहर 11 बजकर 55 मिनट पर आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है।
इसके लिए 18 जून को वैशाख माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक है।
ज्योतिषियों की मानें तो, आषाढ़ माह की कालाष्टमी पर रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग शाम 9 बजकर 36 मिनट तक है। साथ ही शिववास योग शाम 7 बजकर 59 मिनट तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव नंदी की सवारी करेंगे। शिववास योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलता है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है।
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
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कालाष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, भगवान काल भैरव को समर्पित है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। काल भैरव को भय और संकटों का नाश करने वाला माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से तमाम बाधाएं दूर होती हैं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। यह मानसिक भय को दूर कर आत्मबल को मजबूत करता है।