
इस दिन साल 2025 कूर्म द्वादशी, (सौ.सोशल मीडिया)
Kurma Dwadashi 2025: जगत के पालनहार भगवान विष्णु के दसवें अवतारों में दूसरा अवतार कूर्म यानी कछुए को समर्पित कूर्म द्वादशी का पर्व हर साल पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार ये द्वादशी 10 जनवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के कच्छप अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन विष्णु जी के कूर्म अवतार की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कूर्म द्वादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
जानिए कूर्म द्वादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर शुरु हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 11 जनवरी को सुबह सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में कूर्म द्वादशी शुक्रवार 10 जनवरी को मनाई जाएगी।
कूर्म द्वादशी की पूजा विधि
कूर्म द्वादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। अब पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद चौकी स्थापित कर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस चौकी पर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। आप चाहें तो भगवान विष्णु की भी तस्वीर स्थापित कर सकते हैं।
इसके बाद दीपक जलाएं और विष्णु जी को सिंदूर, लाल फूल आदि अर्पित करें। इस दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के दल जरूर शामिल करें। अंत में आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें। अधिक लाभ के लिए आप इस दिन पर कुर्म स्तोत्रम् का पाठ भी कर सकते हैं।
जानिए कूर्म द्वादशी का महत्व
कूर्म द्वादशी को एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। हिंदुओं में इसका धार्मिक महत्व है। कूर्म एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कछुआ। कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और भक्त इस पवित्र दिन श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के लिए कछुए का अवतार लिया था, जिसे भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। कूर्म द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के कछुआ अवतार की पूजा करने का विधान है। प्रचलित मान्यता है कि इस व्रत को करने से पापों का निवारण होता है और मोक्ष की प्राप्ति में भी मदद मिलती है।






