देवी धूमावती जयंती (सौ.सोशल मीडिया)
धूमावती जयंती, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार ये जयंती 3 जून, मंगलवार को है। देवी धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक हैं। तंत्र-मंत्र की सिद्धियों के लिए इनकी पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, रोग, बाधाओं और संकटों से मुक्ति के लिए धूमावती जयंती के शुभ अवसर पर देवी धूमावती की पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि दक्ष प्रजापति द्वारा भगवान शिव के अपमान से आहत होकर देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। देवी सती के उस योगाग्नि में लीन होने के पश्चात यज्ञ के निकले धुएं से देवी धूमावती का प्राकट्य हुआ था।
धर्म ग्रंथों में देवी धूमावती को देवी लक्ष्मी की बहन कहा जाता है और इनका अन्य नाम अलक्ष्मी भी है। विद्वानों के अनुसार सुहागिन महिलाओं को देवी धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए। देवी के इस स्वरूप से जुड़ी अनेक रहस्यमयी बातें ग्रंथों में बताई गई है। ऐसे में आइए जानते है देवी धूमावती जयंती कब है और इसकी महिमा
ज्योतिषयों के अनुसार, धूमावती जयंती अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 02 जून 2025 सोमवार को रात 8. 34 मिनट पर शुरू होगी।
वहीं अष्टमी तिथि का अंत समाप्त 03 जून 2025 को रात 9.56 मिनट पर होगा।
उदया तिथि होने के कारण देवी धूमावती जयंती 3 जून, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
यह भी पढ़ें-इन दिनों भूलकर ना धोएं कपड़े, वरना खजाना हो जाएगा खाली, कंगाली से करना पड़ सकता है सामना
धूमावती जयंती के दिन देवी धूमावती के इन मंत्रों का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है और संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।
धूं धूमावती स्वाहा॥
धूं धूं धूमावती स्वाहा॥
धूं धूं धूं धूमावती स्वाहा॥
धूं धूं धुर धुर धूमावती क्रों फट् स्वाहा॥
ॐ धूं धूमावती देवदत्त धावति स्वाहा॥
ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥
देवी धूमावती भगवान शिव के धुमेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। देवी धूमावती की विधिवत पूजा-अर्चना करने से मुश्किल से मुश्किल घड़ी में सुख और सम्पदा प्राप्त होती है। देवी धूमावती का सम्बन्ध भगवान विष्णु के वामन अवतार से भी माना गया है।
देवी धूमावती को दस महाविद्याओं में दारुण विद्या के रूप में पूजा जाता है। धूमावती जयंती के दिन इन कार्यों को करने से मां की कृपा प्राप्त होती है।
देवी धूमावती जयंती के दिन देवी मां को लाल वस्त्र और लाल पुष्प अर्पित करें।
इस दिन देवी धूमावती की कथा सुनने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।