
मकर संक्रांति के दिन न करें ये काम,(सौ.सोशल मीडिया)
Makar Sankranti 2025: नए साल का आरंभ हो गया है, जिसके साथ जल्द ही त्योहारों का सिलसिला भी शुरू होने वाला है। मकर संक्रांति के पर्व को नए साल के पहले प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि दोनों के लिहाज से ये पर्व बेहद खास है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए गुड़, तिल और गर्म कपड़े आदि का दान किया जाता है। धार्मिक मत है कि मकर संक्रांति के दिन कुछ कार्यों को करने की सख्त मनाही है, जिनको करने से साधक को जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन किन गलतियों को करने से बचना चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन क्या न करें
1. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन बिल्कुल सात्विक रहना चाहिए। इस दिन खुद को किसी भी तरह के नशे से खुद को दूर रखें। शराब, सिगरेट या गुटके का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
2. इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। इस दिन मसालेदार भोजन भी नहीं खाना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन लहसुन, प्याज और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. वैसे तो कभी भी ना तो किसी का अपमान करना चाहिए और न ही किसी को अपशब्द कहना चाहिए। लेकिन, आज के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आज के दिन अपनी वाणी में मधुरता लाएं।
4. मकर संक्रांति के दिन पेड़ों की कटाई-छटाई भी नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में बाधाएं आती हैं। इस दिन तुलसी की पत्तियों को भी नहीं तोड़ना चाहिए।
5. मकर संक्रांति के दिन देर तक बिना नहाए और पूजा किए कुछ भी खाना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान किए बिना कुछ खाने से घर में दरिद्रता आती है।
6. मकर संक्रांति के दिन किसी भी ब्राम्हण या जरूरतमंद को अपने दरवाजे से खाली हाथ ना जाने दें। मकर संक्रांति का दिन स्नान-दान का दिन होता है इसलिए आज के दिन उन्हें तिल या चावल का दान करके ही विदा करें।
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7. मकर संक्रांति के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि इससे सूर्य देव की कृपा नहीं प्राप्त होती है। इसलिए कोशिश करें कि आज का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लें।
सिर्फ इस पात्र से जल अर्पण करें
ज्योतिषयों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य का विधान है। लेकिन, किसी भी पात्र से नहीं बल्कि केवल तांबे के पात्र से ही जल अर्पण करना चाहिए। सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं।






