ये है भाई दूज कथा (सौ.सोशल मीडिया)
Bhai Dooj ki Kahani: आज पूरे देशभर में भाई दूज का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है। भाई दूज का पर्व हर साल दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है, जो कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि होती है। आपको बता दें, यह पर्व भी रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है।
इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित करती हैं, उन्हें भोजन करवाती हैं और तिलक लगाती है और भाई बदले में बहनों को उपहार भी देते है। भाई दूज के दिन विधिवत रूप से पूजा की जाती है और पूजा के दौरान कथा का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि भाई दूज की कथा का पाठ करने से भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं भाई दूज की व्रत कथा क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच बहुत स्नेह था। एक बार यमुना अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन के लिए बुलाने का आग्रह करती थीं, पर यमराज व्यस्तता के कारण उनके घर नहीं जा पाते थे।
एक दिन यमराज अपनी अचानक ही अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे। यमुना अपने भाई को देख बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने यमराज का बहुत आदर-सत्कार किया, आरती उतारी और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया।
इस आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने कामना की, कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे यमराज का भय नहीं होगा और उसके भाई की लंबी उम्र होगी। यमराज ने यमुना की इस बात पर “तथास्तु” कहा और तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई।
भाई दूज की एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद जब भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, तो सुभद्रा ने उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु के लिए कामना की।
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भाई दूज के दिन बहनें यमराज का आदर-सत्कार करती हैं, क्योंकि उन्होंने यमुना की बात मानकर उसे वरदान दिया था कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा। यह पर्व भाई और बहन के बीच स्नेह और प्यार को बढ़ावा देता है साथ ही, यह व्रत भाई की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है।