
कब है? छठ पूजा का पहला अर्घ्य (सौ.सोशल मीडिया)
Chhath sandhya arag time 2025: पूरे देश भर में छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गयी हैं। आज छठ पर्व का तीसरा दिन है और इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। इस अर्घ्य को देने के लिए व्रतधारी सूर्यास्त से पहले किसी नदी या घाट पर पहुंचते हैं।
फिर वहां पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते है। इस पूजा के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, धूप, अगरबत्ती, हल्दी और कई अन्य सामग्री रखी जाती है। संध्या अर्घ्य के बाद व्रती उषा अर्घ्य की तैयारी करते हैं। छठ पर्व में सूर्योदय के समय अर्पित किए जाने वाले अर्घ्य को उषा अर्घ्य कहा जाता है। आइए जानते हैं इस साल छठ पर्व का संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य का समय क्या रहने वाला है।
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय अस्तगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान सूर्य और षष्ठी माता के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। इस दिन व्रती बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहते हैं और यह छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। फिर इसके अगले दिन उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का पारण होता है।
शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक।
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य छठ पूजा का मुख्य दिन होता है, जब व्रती कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते है। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है इस दौरान बांस की टोकरी में कुछ फल आदि प्रसाद सजाए जाते हैं, जिन्हें डूबते सूर्य को अर्पित किया जाता है।
छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते समय आप नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं-
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
इसके अलावा, सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे प्रचलित मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” है, जिसे अर्घ्य देते समय लगातार दोहराना चाहिए।
स्वास्थ्य और समृद्धि- संध्या अर्घ्य देने से व्यक्ति को स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही, पापों का नाश होता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने का प्रतीक होता है।
यह अनुष्ठान प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है।
इस दौरान संतान की समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है।
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संध्या अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
सूर्य को जल अर्घ्य देते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर रखने चाहिए।
जल में रोली, चंदन या लाल फूल मिलाना शुभ माना जाता है।
अर्घ्य देने के बाद सूर्य नमस्कार करें या तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
जल को पैरों में गिरने से बचाएं, किसी गमले में या धरती पर विसर्जित करें।






