कब मनाई जाएगी तुलसी विवाह(सौ.सोशल मीडिया)
Tulsi Vivah 2025 kab hai: 2 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाएगा। जैसा कि आप जानते है कि हिन्दू धर्म में तुलसी पूजन का बहुत अधिक महत्व है। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है और मान्यता है कि तुलसी के पौधे पर माता लक्ष्मी का वास होता है। कई शुभ अवसरों पर माता तुलसी की विधिपूर्वक पूजा-आराधना की जाती है। वहीं, हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योगनिद्रा अवस्था से उठते हैं। जिसके बाद हर जगह शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। जिस वजह से भक्त तुलसी विवाह को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब मनाई जाएगी तुलसी विवाह और शुभ मुहूर्त, नियम।
पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को होता है।
2 नवंबर 2025, रविवार को सुबह 7 बजकर 31 मिनट से होगा।
कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि का समापन:
3 नवंबर 2025, सोमवार को सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा।
इसलिए तुलसी विवाह की तिथि 2 नवंबर 2025, रविवार को पड़ रही है। चूंकि, द्वादशी तिथि का सूर्योदय 2 नवंबर को हो रहा है और उदया तिथि में ही यह व्रत और पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है, इसलिए तुलसी विवाह का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।
ज्योतिषयों के अनुसार, तुलसी विवाह की पूजा शाम के समय की जाती है और इसमें सभी रस्में किसी सामान्य विवाह की तरह ही निभाई जाती हैं।
सबसे पहले घर के आंगन, बालकनी या पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को स्थापित करें। तुलसी के गमले को गेरू और चूने से सजाएं। पौधे के चारों ओर सुंदर रंगोली बनाकर गन्ने या किसी अन्य सामग्री से एक छोटा मंडप सजाएं।
तुलसी माता को लाल चुनरी, चूड़ी, साड़ी और सभी श्रृंगार सामग्री (जैसे बिंदी, मेहंदी, काजल आदि) अर्पित करें। भगवान शालिग्राम को तुलसी के गमले के दाहिनी ओर विराजमान करें।
तुलसी माता और शालिग्राम भगवान दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद शालिग्राम जी को चंदन और तुलसी माता को रोली से तिलक लगाएं ध्यान रहे, शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं, इसलिए उनकी पूजा में तिल का उपयोग करें।
पूजा में फूल, मिठाई, गन्ना, सिंघाड़े, मूली और पंचामृत का भोग अर्पित करें। फिर धूप और दीपक जलाकर मंत्रों का उच्चारण करें।
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किसी वास्तविक विवाह की तरह ही तुलसी माता और शालिग्राम भगवान के सात फेरे कराए जाते हैं इस दौरान भगवान शालिग्राम को गमले के चारों ओर घुमाया जाता है। विवाह संपन्न होने के बाद आरती करें और प्रसाद सभी भक्तों में बांटें।