
ये है मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 का शुभ मुहूर्त (सौ.सोशल मीडिया)
Margashirsha Amavasya 2025: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। इसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में भी कहा है, ‘महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं’। इस महीने की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या या अगहन अमावस्या कहा जाता है, जिसका महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं होता। यह तिथि भगवान विष्णु, चंद्र देव और पितरों को समर्पित है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या की 20 नवंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं किस दिन मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा की जाएगी।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।
सूर्योदय- सुबह 06:48
पितरों की पूजा का समय- सुबह 11:30 से दोपहर 12:30
विष्णु पूजा का मुहूर्त- सुबह 05:01 से सुबह 05:54
राहुकाल- दोपहर 01:26 से दोपहर 02:46
ॐ नमो नारायणाय॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
मार्गशीर्ष के महीने में भगवान श्री कृष्ण और विष्णु जी की पूजन करना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा कहते हैं कि जो पूजन करता है उसे अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ जीवन में शुभ परिणाम लेकर आता है और सारे संकटों को दूर कर देता है।
अमावस्या की तिथि मुख्य रूप से पितरों को समर्पित की गई है। किया गया तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति देता है। जो लोग पितृ दोष की समस्या से परेशान चल रहे हैं उन्हें यह उपाय जरूर करने चाहिए।
अमावस्या और पूर्णिमा जैसी तिथियों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है। किसी पवित्र सरोवर नदी में स्नान करने अवश्य जाएं। अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
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स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और इसके बाद किया गया दान पुण्य में वृद्धि करता है। इस दिन अन्न और वस्त्र के साथ तिल का दान बहुत शुभ माना गया है।






