
क्या है शादी में जयमाला की कहानी। (सौ. Freepik)
The Significance of The Varmala In Wedding: शादी का सीजन शुरू होने वाला है और देशभर में हजारों जोड़े अपने नए जीवन की शुरुआत करने जा रहे हैं। ज्यादातर घरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और अब बस इंतजार है शुभ मुहूर्त का। भारतीय विवाह में कई ऐसी रस्में होती हैं, जिनका न सिर्फ धार्मिक बल्कि गहरा भावनात्मक महत्व भी होता है। इन्हीं में से एक है वरमाला की रस्म, जो फेरे से पहले निभाई जाती है। इस रस्म में सबसे पहले दुल्हन दुल्हे के गले में वरमाला डालती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? इस पर रोहिणी, दिल्ली के पंडित जन्मेश द्विवेदी ने विस्तार से प्रकाश डाला है।
हिंदू धर्म में विवाह को सबसे पवित्र संस्कार माना गया है। मान्यता है कि विवाह के दिन दुल्हा भगवान शिव और दुल्हन माता पार्वती का स्वरूप होते हैं। इसलिए हर रस्म विशेष नियम और भाव के साथ निभाई जाती है।
वरमाला की रस्म में दुल्हन का पहले वरमाला पहनाना इस बात का प्रतीक है कि विवाह में वधु की सहमति सर्वोपरि होती है। दुल्हन पहले वर को स्वीकार करती है और उसके बाद वर, वधु को वरमाला पहनाकर अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करता है। ज्योतिष के अनुसार, इसमें मंगल और शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव भी जुड़ा होता है, जो दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
जीवन में “मैं सही हूं” की जगह “हम साथ हैं” की भावना विकसित होती है। यह रस्म यह भी दर्शाती है कि जैसे भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने रिश्ते की पवित्रता को निभाया, वैसे ही दंपती भी अपने वैवाहिक जीवन को सम्मान और समर्पण के साथ निभाएंगे।
वरमाला सिर्फ फूलों की माला नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई गहरे संकेत छिपे होते हैं।
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शादी में वरमाला की रस्म सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक मजबूत वैवाहिक जीवन की नींव है। इसके अर्थ को समझकर निभाई गई रस्म दांपत्य जीवन को और भी मधुर बनाती है। इसलिए शादी के दौरान इस परंपरा की भावना और महत्व को जरूर समझना चाहिए।






